Bilaspur News:मंत्री ने दिए नियुक्ति पत्र, वेतन मिला प्लेसमेंट का— 7 साल की लड़ाई के बाद हाईकोर्ट से 22 निगम कर्मियों को राहत
बिलासपुर नगर निगम में अनुकंपा नियुक्ति को लेकर वर्षों से जारी विवाद पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा और राहत भरा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर द्वारा 22 कर्मचारियों की नियुक्ति निरस्त करने के आदेश को रद्द करते हुए उनकी नियुक्ति बहाल करने के निर्देश दिए हैं।

BILASPUR NEWS. बिलासपुर नगर निगम में अनुकंपा नियुक्ति को लेकर वर्षों से जारी विवाद पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बड़ा और राहत भरा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने नगर निगम कमिश्नर द्वारा 22 कर्मचारियों की नियुक्ति निरस्त करने के आदेश को रद्द करते हुए उनकी नियुक्ति बहाल करने के निर्देश दिए हैं।
इन 22 कर्मचारियों को 10 जनवरी को स्वयं उपमुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव ने अपने हाथों से अनुकंपा नियुक्ति आदेश सौंपे थे। इसके बावजूद ये कर्मचारी वर्ष 2018 से नगर निगम में काम तो कर रहे थे, लेकिन उन्हें अब तक प्लेसमेंट कर्मचारी के रूप में ही वेतन दिया जा रहा था, न कि उनके पद के अनुरूप।
स्वीकृति में देरी बनी विवाद की जड़
नगर निगम प्रशासन के अनुसार, नियुक्ति आदेश शासन की स्वीकृति के इंतजार में जारी किए गए थे। स्वीकृति समय पर नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों की सैलरी रोक दी गई, बाद में उनकी अनुकंपा नियुक्ति निरस्त कर उन्हें प्लेसमेंट कर्मचारी मानते हुए भुगतान किया गया। इसी निर्णय को कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अनुकंपा नियुक्ति राज्य सरकार की नीति के अनुसार ही की जानी चाहिए। न्यायालय न तो नीति में कोई शब्द जोड़ सकता है और न ही घटा सकता है।
कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि निदेशक द्वारा अनुमोदन अस्वीकार करने का कोई ठोस कारण आदेश में दर्ज नहीं किया गया, जो प्रशासनिक मनमानी और निरंकुशता को दर्शाता है। इसी आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति निरस्त करना न्यायसंगत नहीं है।
वरिष्ठता मिलेगी, लेकिन पिछला वेतन नहीं
हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि 22ों कर्मचारियों को नगर निगम में चपरासी के पद पर बहाल किया जाए। हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि कर्मचारी पिछले वेतन के हकदार नहीं होंगे, लेकिन उनकी वरिष्ठता उनकी मूल नियुक्ति तिथि से बिना किसी सेवा अंतराल के मानी जाएगी।
निगम ने शासन से मांगा मार्गदर्शन
हाईकोर्ट का आदेश मिलने के बाद नगर निगम प्रशासन ने इस मामले में राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा है। अपर आयुक्त खजांची कुमार के अनुसार, शासन के निर्देशों के अनुरूप ही कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि निगम इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा या नहीं।
7 साल से सेवा, वेतन पद से कम
निगम में अनुकंपा नियुक्ति पर कार्यरत ये 22 कर्मचारी बीते सात वर्षों से नियमित रूप से काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें अब तक उनके पद के अनुसार वेतन नहीं मिला। अनुकंपा नियुक्ति सामान्यतः कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु या विशेष परिस्थितियों में परिवार के एक सदस्य को दी जाती है, लेकिन इन कर्मचारियों के मामले में नीति के बावजूद उन्हें पूरा लाभ नहीं दिया गया।
नियुक्ति निरस्त किए गए 22 कर्मचारियों के नाम
नीता ठाकुर, ऋतु उर्फ क्षमता, अनुपर्णा सोनी, प्रवेश परिहार, लक्ष्मी जानोकर, गीता श्रीवास, हसीना बानो, निरेश श्रीवास, अजीत कुमार, मोहम्मद युनुस खान, मीना पाल, बीना समुद्रे, शेख अमीन, विनोद डांगरे, मीना तिवारी, रजनी गुप्ता, प्रदीप बघेल, शेखर मार्को, मोहम्मद युनुस, संजय कुमार, रेशमा मलिक सहित अन्य।








