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New pamban rail Bridge: रामेश्वरम नया पंबन ब्रिज तकनीकी समस्या से प्रभावित; पीएम मोदी के ₹550 करोड़ लागत वाले पुल पर ट्रेनें फंसीं, मरम्मत जारी

कुछ दिनों पहले इसकी तकनीकी खराबी के कारण रामेश्वरम से दो ट्रेनें लगभग तीन घंटे से ज्यादा समय तक पुल पर फंसी रहीं। इनमें एक नियमित पैसेंजर ट्रेन मदुरै की थी और दूसरी सुपर फास्ट ट्रेन। इस स्थिति ने यात्रियों को असुविधा में डाला और रेलवे प्रशासन को पुल की जांच और मरम्मत के लिए तत्पर होना पड़ा

New pamban rail Bridge: 6 अप्रैल 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज का उद्घाटन किया। यह ब्रिज ₹550 करोड़ की भारी लागत से तैयार हुआ है और पंबन जलडमरूमध्य पर स्थित है, जो रेल मार्ग से रामेश्वरम को मुख्य भूमि से जोड़ता है। इस पुल की लंबाई 2.07 किलोमीटर है और इसमें आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह क्षेत्र की रेलवे कनेक्टिविटी में सुधार लाने के साथ ही समुद्री यातायात के लिए भी सुविधाजनक साबित होता है।

तकनीकी खराबी और ट्रेन सेवा में बाधा: Current Technical Issues Affecting Train Operations

हालांकि इस पुल को आधुनिकतम मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया था, लेकिन कुछ दिनों पहले इसकी तकनीकी खराबी के कारण रामेश्वरम से दो ट्रेनें लगभग तीन घंटे से ज्यादा समय तक पुल पर फंसी रहीं। इनमें एक नियमित पैसेंजर ट्रेन मदुरै की थी और दूसरी सुपर फास्ट ट्रेन। इस स्थिति ने यात्रियों को असुविधा में डाला और रेलवे प्रशासन को पुल की जांच और मरम्मत के लिए तत्पर होना पड़ा। फिलहाल मरम्मत का काम जारी है और जल्द से जल्द ट्रेन सेवा पुनः सामान्य करने का प्रयास किया जा रहा है।

नया पंबन ब्रिज: Engineering Features and Innovations

यह पुल भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे ब्रिज है, जिसका सबसे बड़ा स्पैन 72.5 मीटर का है। इसे समुद्र से लगभग 3 मीटर ऊंचाई पर बनाया गया है। खास बात यह है कि इस पुल के एक हिस्से को 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है, ताकि बड़े समुद्री जहाज बिना बाधा के पुल के नीचे से गुजर सकें। पुल के निर्माण में जंग-प्रतिरोधी स्टेनलेस स्टील समेत कई टिकाऊ सामग्रियों का उपयोग किया गया है और इसे विशेष पेंट से कवर किया गया है जो समुद्री जलवायु में जंग लगने से बचाता है।

पुल का महत्व: Rail and Maritime Connectivity Boost

इस नए पुल का उद्देश्य न केवल रेलवे कनेक्टिविटी को बेहतर बनाना है, बल्कि समुद्री यातायात को भी बढ़ावा देना है। पुराने और जर्जर पंबन ब्रिज की जगह इसे इसलिए बनाया गया ताकि बड़े मालवाहक जहाजों और अन्य समुद्री वाहनों को मार्ग में रुकावट न आए। इस प्रकार यह पुल क्षेत्र के व्यापारिक और आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा। पुल पर फिलहाल केवल एक रेलवे ट्रैक है, लेकिन इसे दो ट्रैक के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे भविष्य में रेलवे ट्रैफिक की क्षमता बढ़ाई जा सके।

इतिहास से जुड़ी बात: First Pamban Bridge and Its Legacy

पहला पंबन ब्रिज 1914 में बना था, जो स्वतंत्रता से पहले की एक महत्वपूर्ण रेलवे परियोजना थी। उस समय यह समुद्री रेलवे पुल एकल ट्रैक वाला था, जिससे एक समय में केवल एक ट्रेन ही गुजर सकती थी। पुराने पुल की मरम्मत और उसके सीमित उपयोग के कारण, केंद्र सरकार ने इस नए ब्रिज का निर्माण किया। यह पुल न केवल तकनीकी रूप से आधुनिक है, बल्कि क्षेत्र की परिवहन आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया एक महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर है।

भविष्य की संभावनाएं और सुधार: Looking Ahead

ट्रेनें फंसे रहने की समस्या से यह स्पष्ट होता है कि तकनीकी अवसंरचना के बावजूद रखरखाव और समय-समय पर निरीक्षण की आवश्यकता बनी रहेगी। रेलवे प्रशासन को चाहिए कि वह इस पुल की निगरानी और समय-समय पर अपडेट तकनीकी समाधान अपनाए ताकि यात्रियों को बेहतर सेवा मिल सके। इसके साथ ही, इस ब्रिज के सफल संचालन से तमिलनाडु और दक्षिण भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास को एक नई दिशा मिलेगी।

रामेश्वरम का नया पंबन रेल ब्रिज तमिलनाडु की रेल और समुद्री यातायात के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है, जिसने आधुनिक तकनीक के प्रयोग से क्षेत्र की कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया है। हालांकि हाल की तकनीकी खराबी ने कुछ असुविधाएं उत्पन्न की हैं, परंतु मरम्मत कार्य जारी है और जल्द ही यह समस्या सुलझ जाएगी। यह पुल भविष्य में दक्षिण भारत के व्यापार और यात्रा के लिए एक मजबूत आधार बनेगा।

 

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