छत्तीसगढ़
Bilaspur News: बिना वजह पति से दूरी बनाना मानसिक क्रूरता”, हाईकोर्ट ने दी तलाक की मंजूरी, SECL अफसर पत्नी को देगा 15 लाख गुज़ारा-भत्ता
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम वैवाहिक विवाद पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच बिना वजह दूरी बनाना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। अदालत ने कोरबा जिले में पदस्थ साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के अधिकारी की तलाक अर्जी को मंजूरी देते हुए पत्नी को 15 लाख रुपये गुज़ारा-भत्ता देने का आदेश दिया।

BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम वैवाहिक विवाद पर बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि पति-पत्नी के बीच बिना वजह दूरी बनाना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। अदालत ने कोरबा जिले में पदस्थ साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) के अधिकारी की तलाक अर्जी को मंजूरी देते हुए पत्नी को 15 लाख रुपये गुज़ारा-भत्ता देने का आदेश दिया।
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करीब डेढ़ दशक पहले हुई शादी के बाद से पति-पत्नी के बीच संबंध सामान्य नहीं रहे। आरोप के अनुसार, पत्नी पिछले दस वर्षों से मायके में रह रही थी और पति के साथ वैवाहिक जिम्मेदारियां निभाने से इंकार कर रही थी। अधिकारी ने हाईकोर्ट में तलाक की अर्जी दायर कर कहा कि पत्नी का यह व्यवहार उनके लिए मानसिक यातना और सामाजिक अपमान का कारण है।

पत्नी का पक्ष
पत्नी ने अदालत में दावा किया कि पति उसके साथ अच्छा व्यवहार नहीं करता और उसे प्रताड़ित करता था। इसी वजह से वह मायके में रह रही है। हालांकि, अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों और उपलब्ध साक्ष्यों पर गौर करने के बाद पाया कि इतने लंबे समय तक बिना उचित कारण पति से दूरी बनाना वैवाहिक जीवन की असफलता को दर्शाता है।
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हाईकोर्ट का निर्णय
न्यायमूर्ति की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि विवाह केवल सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच साथ निभाने का वचन है। यदि कोई पक्ष लंबे समय तक साथ रहने से इंकार करता है और इसका कोई उचित कारण नहीं है, तो यह मानसिक क्रूरता माना जाएगा।
इसी आधार पर अदालत ने तलाक की डिक्री जारी की और पत्नी को भरण-पोषण के लिए एकमुश्त 15 लाख रुपये देने का आदेश पारित किया।
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फैसले का महत्व
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि हाईकोर्ट का यह फैसला वैवाहिक विवादों में मिसाल साबित होगा। अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि अनावश्यक दूरी और साथ रहने से इंकार पति-पत्नी दोनों के लिए मानसिक और सामाजिक कष्ट का कारण है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।