छत्तीसगढ़
Shradh Paksha 2025 :श्राद्ध पक्ष 7 सितंबर से, पितरों की कृपा पाने का श्रेष्ठ समय
हिंदू धर्म में पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) का विशेष महत्व माना जाता है। हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा के बाद से आश्विन अमावस्या तक 15 दिनों तक पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस अवधि में श्रद्धालु अपने पूर्वजों को याद कर तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन करवाते हैं। मान्यता है कि इस समय पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

SHRADH PAKSHA NEWS. हिंदू धर्म में पितृपक्ष (श्राद्ध पक्ष) का विशेष महत्व माना जाता है। हर वर्ष भाद्रपद पूर्णिमा के बाद से आश्विन अमावस्या तक 15 दिनों तक पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस अवधि में श्रद्धालु अपने पूर्वजों को याद कर तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन करवाते हैं। मान्यता है कि इस समय पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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आचार्य संदीप तिवारी बताते हैं कि पितृपक्ष में अपने सामर्थ्य अनुसार तर्पण, पिंडदान और दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर वंशजों की सभी बाधाओं को दूर करते हैं। आचार्य संदीप तिवारी का कहना है कि जिन लोगों को पितृ दोष या जीवन में लगातार परेशानियां बनी रहती हैं, उन्हें पितृपक्ष में श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करना चाहिए। यह न केवल पितरों को तृप्त करता है बल्कि वंशजों के जीवन में भी सकारात्मक ऊर्जा और प्रगति लाता है।

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पितृपक्ष 2025 की महत्वपूर्ण तिथियां –
7 सितंबर – पितृपक्ष प्रारंभ (पूर्णिमा श्राद्ध)
8 सितंबर – प्रतिपदा श्राद्ध
9 सितंबर – द्वितीया श्राद्ध
10 सितंबर – तृतीया श्राद्ध
11 सितंबर – चतुर्थी श्राद्ध
12 सितंबर – पंचमी श्राद्ध
13 सितंबर – षष्ठी श्राद्ध
14 सितंबर – सप्तमी श्राद्ध
15 सितंबर – अष्टमी श्राद्ध
16 सितंबर – नवमी श्राद्ध
17 सितंबर – दशमी श्राद्ध
18 सितंबर – एकादशी श्राद्ध
19 सितंबर – द्वादशी श्राद्ध
20 सितंबर – त्रयोदशी श्राद्ध
21 सितंबर – चतुर्दशी श्राद्ध
22 सितंबर – पितृ विसर्जनी अमावस्या (सर्वपितृ अमावस्या)
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पितृपक्ष में क्या करें?
-प्रतिदिन तिलांजलि और जल अर्पित करें।
-ब्राह्मण एवं गौ सेवा का विशेष महत्व है।
-पितरों के नाम से अन्न, वस्त्र और दान करें।
-अमावस्या तिथि को सर्वपितृ श्राद्ध अवश्य करें।