छत्तीसगढ़

Bilaspur News: हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय: अब ESI एक्ट के दायरे में आएंगे निजी और सहायता प्राप्त स्कूलों के कर्मचारी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि राज्य के निजी और सहायता प्राप्त स्कूल भी अब कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (ESI Act) के दायरे में आएंगे। न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने करीब एक दर्जन से अधिक याचिकाओं को एक साथ सुनते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया।

BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया कि राज्य के निजी और सहायता प्राप्त स्कूल भी अब कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (ESI Act) के दायरे में आएंगे। न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति अमितेंद्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ ने करीब एक दर्जन से अधिक याचिकाओं को एक साथ सुनते हुए यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया।

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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि स्कूल भी “स्थापना (Establishment)” की श्रेणी में आते हैं, इसलिए यहां कार्यरत कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।
दरअसल, रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, राजनांदगांव समेत प्रदेशभर के कई नामी निजी स्कूलों ने राज्य सरकार की 27 अक्टूबर 2005 की अधिसूचना को चुनौती दी थी। इस अधिसूचना के तहत स्कूलों को ईएसआई एक्ट के दायरे में लाकर उनके कर्मचारियों के लिए बीमा अंशदान अनिवार्य किया गया था।

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स्कूल प्रबंधन का तर्क था कि शिक्षा सेवा है, व्यवसाय नहीं, इसलिए उन पर यह कानून लागू नहीं होना चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने यह भी दलील दी कि उनकी गतिविधियां न तो औद्योगिक हैं और न ही वाणिज्यिक, इसलिए वे ईएसआई की परिभाषा में नहीं आतीं।
राज्य सरकार और कर्मचारी राज्य बीमा निगम ने इन दलीलों का कड़ा विरोध किया। उनका कहना था कि ईएसआई एक्ट एक सामाजिक सुरक्षा कानून है, जो हर उस संस्था पर लागू हो सकता है जहां 20 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों। शिक्षा संस्थान भी स्थायी स्थापना हैं और यहां काम करने वाले कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ और अन्य सुविधाएं मिलनी चाहिए।

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हाईकोर्ट का यह फैसला राज्यभर के लाखों निजी व सहायता प्राप्त स्कूलों के कर्मचारियों के लिए राहत और सुरक्षा लेकर आया है।

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