Bilaspur News: हसदेव अरण्य खनन पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, 2012 और 2022 के सरकारी आदेशों को माना वैध
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता सामुदायिक वन अधिकार (Community Forest Rights) का दावा साबित नहीं कर सके। अदालत ने यह भी माना कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा 2012 और 2022 में जारी आदेश वैध और विधिसम्मत हैं।

RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला खनन के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडेय की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता सामुदायिक वन अधिकार (Community Forest Rights) का दावा साबित नहीं कर सके। अदालत ने यह भी माना कि राज्य और केंद्र सरकार द्वारा 2012 और 2022 में जारी आदेश वैध और विधिसम्मत हैं।
अदालत ने कहा कि कोल ब्लॉक का आवंटन कोल माइंस (स्पेशल प्रोविजन) एक्ट 2015 के तहत हुआ है, जिसे संसद ने पारित किया था। यह अधिनियम अन्य सभी कानूनों पर प्राथमिकता रखता है, इसलिए वन अधिकार कानून इसमें बाधक नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के 2012 व 2022 के आदेश सही हैं। अदालत ने माना कि पारसा ईस्ट और केते बासन (PEKB) कोल ब्लॉक के फेज-1 और फेज-2 में खनन की प्रक्रिया वैध है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि खनन की मंजूरी के लिए सभी आवश्यक औपचारिकताओं और नियमों का पालन किया गया है।
ग्रामसभाओं में सामुदायिक अधिकारों पर प्रस्ताव नहीं हुआ पारित
जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की बेंच ने कहा कि सरगुजा जिले के उदयपुर तहसील के ग्राम घटबर्रा की 2008 और 2011 की ग्रामसभा बैठकों में केवल व्यक्तिगत भूमि अधिकार और पट्टों पर चर्चा हुई थी, सामुदायिक अधिकारों पर कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया था।