Bilaspur News:सहमति से बने संबंध को रेप कहना गलत: हाईकोर्ट ने पलटा निचली अदालत का फैसला
बिलासपुर हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब महिला बालिग हो, लंबे समय तक प्रेम संबंध में रही हो और संबंध आपसी सहमति से बने हों, तो उसे “शादी का झांसा देकर रेप” नहीं माना जा सकता।

BILASPUR NEWS. बिलासपुर हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा है कि आपसी सहमति से बने शारीरिक संबंध को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब महिला बालिग हो, लंबे समय तक प्रेम संबंध में रही हो और संबंध आपसी सहमति से बने हों, तो उसे “शादी का झांसा देकर रेप” नहीं माना जा सकता।
मामला बस्तर जिले के CAF जवान रूपेश कुमार पुरी (25) से जुड़ा है, जिसे जगदलपुर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने वर्ष 2022 में 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। लेकिन बिलासपुर हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट का फैसला रद्द करते हुए जवान को सभी आरोपों से बरी कर दिया।
क्या कहा हाईकोर्ट ने
न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता बालिग थी और आरोपी के साथ साल 2013 से प्रेम संबंध में थी। दोनों के बीच फेसबुक से शुरू हुई दोस्ती ने प्यार का रूप लिया। कोर्ट ने माना कि पीड़िता ने स्वयं आरोपी के घर जाकर उसके साथ रहना स्वीकार किया और बार-बार संबंध बनाए।
इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि आरोपी ने झूठे वादे या धोखे से संबंध बनाए थे।
पीड़िता के बयानों में विरोधाभास
सुनवाई के दौरान यह भी सामने आया कि पीड़िता ने स्वयं स्वीकार किया था कि अगर आरोपी के माता-पिता उसे परेशान न करते, तो वह पुलिस में रिपोर्ट नहीं करती।
पीड़िता के परिजनों ने भी अदालत में कहा कि अगर उनकी बेटी को आरोपी के परिवार ने ठीक से रखा होता, तो वे एफआईआर नहीं करवाते।
कोर्ट का तर्क
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि, “केवल शादी का वादा कर बनाए गए संबंध को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता, जब तक यह साबित न हो कि आरोपी का शुरू से शादी करने का कोई इरादा नहीं था।”
मेडिकल रिपोर्ट में नहीं मिले ठोस सबूत
मेडिकल और एफएसएल रिपोर्ट में भी दुष्कर्म के ठोस प्रमाण नहीं मिले। इन आधारों पर कोर्ट ने कहा कि यह मामला जबरन यौन शोषण का नहीं, बल्कि आपसी सहमति और प्रेम संबंध का परिणाम था। ट्रायल कोर्ट का फैसला निरस्त करते हुए हाईकोर्ट ने CAF जवान रूपेश कुमार पुरी को बरी कर दिया।