Viral Video News: क्लासरूम में गलतियों की क्लास!” — मास्टरजी की ब्लैकबोर्ड पर अंग्रेजी की ऐसी-तैसी
बच्चे स्कूल इसलिए भेजे जाते हैं ताकि वे सही शिक्षा लेकर अपने भविष्य की राह बना सकें। लेकिन ज़रा सोचिए, जब वही “भविष्य के निर्माता” खुद ही बच्चों को गलत पढ़ाने लगें, तो उन मासूम सपनों का क्या होगा? वाड्रफनगर के कोगवार गांव की एक सरकारी प्राथमिक शाला से सामने आई तस्वीरें प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही हैं।

WADRAFNAGAR VIRAL VIDEO NEWS. बच्चे स्कूल इसलिए भेजे जाते हैं ताकि वे सही शिक्षा लेकर अपने भविष्य की राह बना सकें। लेकिन ज़रा सोचिए, जब वही “भविष्य के निर्माता” खुद ही बच्चों को गलत पढ़ाने लगें, तो उन मासूम सपनों का क्या होगा? वाड्रफनगर के कोगवार गांव की एक सरकारी प्राथमिक शाला से सामने आई तस्वीरें प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रही हैं।
यह मामला वाड्रफनगर विकासखंड के प्राथमिक शाला मचानडांड़ का है, जहाँ कक्षा में शिक्षक ने बच्चों को अंग्रेजी के दिनों के नाम लिखवाए — लेकिन खुद सही स्पेलिंग तक नहीं जानते। ब्लैकबोर्ड पर “Sunday” की जगह लिखा गया “Sanday” और “Wednesday” की जगह “Wensday”। बच्चे मासूमियत से वही दोहरा रहे हैं, जो मास्टरजी सिखा रहे हैं — यानी गलतियाँ अब बच्चों की कॉपियों तक पहुँच चुकी हैं।
ये भी पढ़ें:Bilaspur News:रेल हादसे का जख्म फिर हरा, 19 साल की छात्रा मेहविश ने दम तोड़ा
इसी कक्षा में जब बॉडी पार्ट्स का लेसन शुरू हुआ, तो शिक्षक ने “Nose” को “Noge”, “Ear” को “Eare” और “Eye” को “Iey” लिख दिया। इतना ही नहीं, Mother, Father, Brother और Sister के भी गलत स्पेलिंग बच्चों को रटवा दिए गए। क्लासरूम में “शिक्षण” की जगह “गलतियों का पाठ” चल रहा है।
स्कूल में कुल 42 छात्र पढ़ते हैं और दो शिक्षक नियुक्त हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि एक शिक्षक, कमलेश पंडो, अक्सर शराब के नशे में स्कूल आते हैं और क्लास में ही सो जाते हैं। दूसरे शिक्षक की यह हरकत तो बच्चों के भविष्य से सीधा खिलवाड़ है।
स्थानीय लोगों ने शिक्षा विभाग और पंचायत से कई बार शिकायत की, लेकिन किसी अधिकारी ने अब तक जांच नहीं की।
प्रदेश सरकार हर साल अंग्रेजी शिक्षण के लिए लाखों रुपये के प्रशिक्षण और मॉनिटरिंग कार्यक्रम चलाती है, फिर भी जमीनी हकीकत यही है कि शिक्षकों को बेसिक स्पेलिंग तक की समझ नहीं।
शिक्षा विभाग ने शंकुल स्तर पर CAC अधिकारी नियुक्त किए हैं ताकि शिक्षण की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके, लेकिन यहाँ तो मॉनिटरिंग नाम की कोई चीज़ नहीं दिखती। एक तरफ सरकार डिजिटल लर्निंग और स्मार्ट क्लास की बातें करती है, वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में शिक्षक “Sanday” सिखा रहे हैं।
“पढ़े छत्तीसगढ़, बढ़े छत्तीसगढ़” जैसे नारे अब खोखले लगने लगे हैं।
अगर अब भी शिक्षा विभाग ने आंखें नहीं खोलीं, तो इन मासूम बच्चों का भविष्य ‘Sanday’ की तरह गलत दिशा में लिखा जाएगा।






