Bilaspur News:शादी से पहले सेक्स पर परम आलय बाबा का विवादित बयान; स्वास्थ्य मंत्री बोले—‘संत ऐसे बयान न दें’
शादी से पहले सेक्स जैसे संवेदनशील मुद्दे पर धर्मगुरु परम आलय बाबा के बयान ने छत्तीसगढ़ में नया विवाद खड़ा कर दिया है। बिलासपुर में एक कार्यक्रम के दौरान बाबा ने युवतियों और युवाओं को शादी से पहले सेक्स को लेकर “ऐतराज न करने” की बात कही। उनका यह वीडियो वायरल होते ही मामला राजनीतिक और सामाजिक बहस में बदल गया।

BILASPUR NEWS. शादी से पहले सेक्स जैसे संवेदनशील मुद्दे पर धर्मगुरु परम आलय बाबा के बयान ने छत्तीसगढ़ में नया विवाद खड़ा कर दिया है। बिलासपुर में एक कार्यक्रम के दौरान बाबा ने युवतियों और युवाओं को शादी से पहले सेक्स को लेकर “ऐतराज न करने” की बात कही। उनका यह वीडियो वायरल होते ही मामला राजनीतिक और सामाजिक बहस में बदल गया।
कार्यक्रम के दौरान बाबा ने कहा कि लड़कियों को शादी से पहले सेक्स से ऐतराज नहीं होना चाहिए। उन्होंने अपनी बात को समझाते हुए कहा जब हम गाड़ी खरीदते हैं तो पहले उसे चलाकर देखते हैं, सीखते हैं। आगे उन्होंने सेक्स को पूजनीय ऊर्जा बताते हुए कहा कि युवाओं को इसे समझने और प्रशिक्षण की जरूरत है।
बाबा ने यहां तक कहा कि सेक्स की उम्र आते ही उसे अपनाने में कोई बुराई नहीं है। इस बयान ने सामाजिक और धार्मिक संगठनों में तीखी प्रतिक्रिया पैदा कर दी है।
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मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने दी तीखी प्रतिक्रिया
बाबा के बयान पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा महाराज और संतों को ऐसे बयानों से बचना चाहिए। समाज उन्हें आदर्श मानता है। इस तरह की बातें समाज में कटुता बढ़ाती हैं। मंत्री का कहना है कि धार्मिक मंचों से ऐसे वक्तव्य लोगों को भ्रमित करते हैं और सामाजिक मर्यादाओं पर प्रश्न खड़ा करते हैं।
सेक्स एनर्जी का ‘सदुपयोग’ सिखाने की बात
परम आलय बाबा ने अपने भाषण में कहा कि पश्चिमी संस्कृति ने शरीर को दो हिस्सों में बांटकर देखने की सोच दी, जबकि भारतीय परंपरा ऐसा नहीं मानती। उन्होंने दावा किया कि सेक्स एनर्जी का सदुपयोग सिखाना समय की जरूरत है। बाबा प्रवचन देने पहुंचे थे, लेकिन पूरा कार्यक्रम सेक्स एजुकेशन की तरफ मुड़ गया। मंच पर नेताओं, मंत्रियों और अफसरों की मौजूदगी भी चर्चा का केंद्र बनी।
विवाद बढ़ता जा रहा है
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। कई सामाजिक संगठन इसे “असंगत” और “भ्रम फैलाने वाला” करार दे रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे आज की पीढ़ी के लिए नई सोच बताकर समर्थन भी कर रहे हैं।








