छत्तीसगढ़
Bilaspur News: मनरेगा पर टकराव: नाम बदलने से बढ़ा राजनीतिक संग्राम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदले जाने का मामला अब सिर्फ प्रशासनिक फैसला नहीं रह गया है, बल्कि यह रोजगार बनाम राजनीति की बहस में बदलता नजर आ रहा है। रविवार को बिलासपुर की सड़कों पर उतरी कांग्रेस ने इसे गरीबों के रोजगार अधिकार पर सीधा हमला बताया।

BILASPUR NEWS. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) का नाम बदले जाने का मामला अब सिर्फ प्रशासनिक फैसला नहीं रह गया है, बल्कि यह रोजगार बनाम राजनीति की बहस में बदलता नजर आ रहा है। रविवार को बिलासपुर की सड़कों पर उतरी कांग्रेस ने इसे गरीबों के रोजगार अधिकार पर सीधा हमला बताया।
कांग्रेस भवन से नेहरू चौक तक निकाले गए जुलूस में कार्यकर्ताओं ने हाथों में तख्तियां लेकर नारे लगाए और कहा कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण गरीबों की जीवनरेखा रही है। प्रदर्शन के दौरान नेताओं ने दावा किया कि नाम बदलने की कवायद के पीछे योजना की जवाबदेही और अधिकार आधारित ढांचे को कमजोर करने की मंशा छिपी है।
शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सिद्धांशु मिश्रा और जिला अध्यक्ष महेंद्र गंगरी ने कहा कि वर्ष 2006 में कांग्रेस शासनकाल में शुरू हुई मनरेगा ने ग्रामीण परिवारों को 100 दिन का सुनिश्चित रोजगार दिया। उनके मुताबिक, इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में पलायन रुका और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली।
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने मनरेगा के लिए मिलने वाले अनुदान में कटौती कर योजना को कागजों तक सीमित कर दिया है। उनका कहना था कि नाम बदलना प्रतीकात्मक कदम है, असली उद्देश्य योजना की उपयोगिता को खत्म करना है।
इस विरोध प्रदर्शन को कांग्रेस ने केंद्र सरकार के खिलाफ चल रहे राजनीतिक प्रतिरोध अभियान का हिस्सा बताया और साफ कहा कि अगर मनरेगा के मूल स्वरूप में बदलाव जारी रहा, तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्तर तक ले जाया जाएगा।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो मनरेगा को लेकर छिड़ी यह लड़ाई आने वाले समय में ग्रामीण राजनीति का बड़ा मुद्दा बन सकती है, खासकर उन इलाकों में जहां मजदूरी और रोजगार आज भी प्रमुख सवाल बने हुए हैं।




