छत्तीसगढ़

Bilaspur News: हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: संविदा नर्स को मिला मातृत्व अवकाश का पूरा वेतन, हजारों महिला कर्मियों को राहत

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर खंडपीठ ने महिलाओं के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ किया कि संविदा पर कार्यरत महिला कर्मचारियों को भी मातृत्व अवकाश के दौरान पूरा वेतन मिलना उनका वैधानिक अधिकार है। यह आदेश प्रदेश की हजारों महिला संविदा कर्मियों के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है।

BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट, बिलासपुर खंडपीठ ने महिलाओं के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने साफ किया कि संविदा पर कार्यरत महिला कर्मचारियों को भी मातृत्व अवकाश के दौरान पूरा वेतन मिलना उनका वैधानिक अधिकार है। यह आदेश प्रदेश की हजारों महिला संविदा कर्मियों के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है।

ये भी पढ़ेंः Raipur News: छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज: राज्यपाल से मिलने पहुंचे अमर अग्रवाल

मामला क्या था?
कबीरधाम जिला अस्पताल में कार्यरत एक संविदा स्टाफ नर्स ने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया था। 21 जनवरी को उन्होंने बेटी को जन्म दिया और 14 जुलाई को वापस ड्यूटी जॉइन कर ली। छुट्टी मंजूर होने के बावजूद सरकार ने इस दौरान का वेतन देने से इनकार कर दिया। जबकि छत्तीसगढ़ सेवा नियम 2010 में स्पष्ट लिखा है कि मातृत्व अवकाश के समय वेतन देना अनिवार्य है। नर्स ने पहले रिट याचिका और फिर अवमानना याचिका हाईकोर्ट में लगाई।
Aaj ka rashifal
कोर्ट की टिप्पणी
न्यायमूर्ति रविन्द्र कुमार अग्रवाल की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि आदेश के बावजूद वेतन क्यों नहीं दिया गया? कोर्ट ने टिप्पणी की— “यह केवल आर्थिक अधिकार का मामला नहीं है, बल्कि महिलाओं के सम्मान और गरिमा से जुड़ा विषय है।”

ये भी पढ़ेंः Bilaspur News: अवैध चर्च पर बुलडोजर: धर्मांतरण के आरोपों से मचा बवाल, प्रशासन ने सरकारी ज़मीन पर बने निर्माण को किया ध्वस्त

सरकार का जवाब
हाईकोर्ट की फटकार के बाद शासन ने अदालत को जानकारी दी कि अब संबंधित नर्स को पूरा वेतन दे दिया गया है। इसके साथ ही अवमानना याचिका समाप्त कर दी गई।

ये भी पढ़ेंः Dhamtari News: गुजरात में बंधक बनाए गए 6 मजदूर: तीन नाबालिग और तीन बालिकाएं शामिल, मदद के लिए दर-दर भटक रहे परिजन

महिलाओं की जीत
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता श्रीकांत कौशिक ने कहा—
“यह केवल एक महिला नर्स की जीत नहीं, बल्कि प्रदेश की उन सभी महिला संविदा कर्मियों की जीत है, जिन्हें वर्षों से मातृत्व अवकाश वेतन को लेकर संघर्ष करना पड़ रहा था। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह उनका वैधानिक अधिकार है, चाहे नियुक्ति नियमित हो या संविदा।”

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *