छत्तीसगढ़

एशिया के सबसे बड़े स्थाई छठ घाट पर हुआ श्रमदान: भक्तों ने झाड़ू लगाई, घाट चमक उठा

बिलासपुर। संस्कारधानी बिलासपुर में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। तोरवा स्थित अरपा नदी तट पर बने एशिया के सबसे बड़े स्थाई छठ घाट पर रविवार सुबह श्रमदान अभियान चलाया गया।

बिलासपुर। संस्कारधानी बिलासपुर में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियां पूरे जोरों पर हैं। तोरवा स्थित अरपा नदी तट पर बने एशिया के सबसे बड़े स्थाई छठ घाट पर रविवार सुबह श्रमदान अभियान चलाया गया। सुबह 7 बजे से ही घाट पर भक्तों और स्वयंसेवकों की भीड़ उमड़ पड़ी। समिति सदस्य प्रवीण झा के नेतृत्व में श्रमदान करते हुए लोगों ने घाट और नदी की सफाई की। देखते ही देखते पूरा घाट भक्तिमय माहौल में स्वच्छ और चमकदार हो गया।

प्रवीण झा ने बताया कि शनिवार को अरपा मैया की महाआरती संपन्न हुई, जिसमें लगभग 5000 श्रद्धालु शामिल हुए। इस वर्ष छठ पूजा का 25वां वर्ष (रजत जयंती) मनाया जा रहा है, इसलिए आयोजन को और भी भव्य बनाया गया है। अनुमान है कि इस बार 60 हजार से अधिक श्रद्धालु घाट पर अर्घ्य देने पहुंचेंगे। श्रद्धालुओं की सुरक्षा और व्यवस्था के लिए 500 से अधिक पुलिसकर्मी व वॉलिंटियर्स तैनात रहेंगे।

खरना पूजा के साथ आज से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला व्रत

लोक आस्था के इस चार दिवसीय पर्व की शुरुआत शनिवार को नहाय-खाय से हुई। रविवार को खरना का आयोजन किया जा रहा है। इस दिन व्रती मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी से गुड़ की खीर, रोटी और अरवा चावल का प्रसाद बनाते हैं। सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित करने के बाद व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं और यहीं से 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ हो जाता है।

कठोर नियमों वाला होता है यह व्रत

खरना से निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। इस दौरान व्रती पूरी निष्ठा और पवित्रता के साथ सूर्य देव की उपासना करते हैं। गुड़, दूध और चावल से बनी खीर इस दिन का मुख्य प्रसाद होता है। परिवार और पड़ोस के लोगों के साथ इसे बांटने की परंपरा शुभ मानी जाती है।

बाजारों में छठ सामग्री की खरीदारी को उमड़ी भीड़

छठ पूजा की तैयारियों को लेकर बुधवारी, शनिचरी, बृहस्पति, मंगला, सरकंडा, राजकिशोर नगर और तिफरा के बाजारों में छठ सामग्री खरीदने भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है। छठ समिति के सक्रिय सदस्य रौशन सिंह ने बताया कि यह पर्व शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है। यह व्रत संतान प्राप्ति, निरोगी जीवन और परिवार की समृद्धि के लिए किया जाता है।

रविवार शाम खरना पूजा के बाद सोमवार को मुख्य पर्व के दिन श्रद्धालु तोरवा छठ घाट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे।

श्रमदान में जुटे सैकड़ों स्वयंसेवक

श्रमदान में प्रमुख रूप से प्रवीण झा, विजय ओझा, अभय नारायण राय, धर्मेंद्र दास, राम प्रताप सिंह, सुधीर झा, रौशन सिंह, दिलीप चौधरी, पंकज सिंह, लव ओझा, धनंजय झा, ए.के. कंठ, हरिशंकर कुशवाहा सहित बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। सभी ने मिलकर घाट परिसर को साफ-सुथरा कर श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारी पूरी की।

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