छत्तीसगढ़

Bilaspur News:बॉक्सिंग रिंग में चिकन-शराब पार्टी का मामला: हाईकोर्ट के संज्ञान के बाद रेल प्रशासन की बड़ी कार्रवाई 7 अधिकारी स्पोर्ट्स असाइनमेंट से हटाए गए

रेलवे के स्पोर्ट्स सेल में हुई चिकन और शराब पार्टी का मामला अब हाईकोर्ट की सख्ती के बाद गंभीर रूप ले चुका है। अदालत के निर्देश पर रेल प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 12 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच का प्रस्ताव रखा है, जबकि 7 अधिकारियों को स्पोर्ट्स असाइनमेंट से हटा दिया गया है।

BILASPUR NEWS. रेलवे के स्पोर्ट्स सेल में हुई चिकन और शराब पार्टी का मामला अब हाईकोर्ट की सख्ती के बाद गंभीर रूप ले चुका है। अदालत के निर्देश पर रेल प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 12 कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच का प्रस्ताव रखा है, जबकि 7 अधिकारियों को स्पोर्ट्स असाइनमेंट से हटा दिया गया है।

यह पूरा मामला 25 जून का है जब SECR के स्पोर्ट्स सेल इंचार्ज श्रीकांत पहाड़ी ने अपने साथी कोच देवेंद्र यादव के जन्मदिन की पार्टी बॉक्सिंग क्लब में दी थी। पार्टी के दौरान मछली फ्राई और चिकन पकाया गया, जिसके बाद बीयर और शराब परोसी गई। इस दौरान कुछ तस्वीरें ली गईं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। वायरल तस्वीरों में बॉक्सिंग रिंग में खिलाड़ियों के मैट पर पार्टी होती दिखाई दी थी, जिससे रेल प्रशासन की छवि पर सवाल उठे।

रेलवे की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल रमाकांत मिश्र ने कोर्ट को बताया कि नियम 68 के तहत विभागीय जांच की प्रक्रिया शुरू की गई है। 12 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित है, जिनमें श्रीकांत पहाड़ी, सुभाष कुमार, बी. अनिल कुमार, सुमित कुमार, पी. तुलसी राव, विकास ठाकुर, पूर्णेन्द्र साहू, ओ.पी. यादव, पी. ईश्वर राव, वाई. नागू राव, देवेंद्र यादव और पी.के. तिवारी शामिल हैं। इनमें से 7 अधिकारियों को स्पोर्ट्स गतिविधियों से संबंधित असाइनमेंट से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है।

स्पोर्ट्स सेल के सचिव, कोच, क्लर्क और मैनेजर स्तर के अधिकारियों में श्रीकांत पहाड़ी, पूर्णेन्द्र साहू, सुमित कुमार, पी. तुलसी राव, पी. ईश्वर राव, वाई. नागू राव और देवेंद्र यादव को असाइनमेंट से मुक्त कर दिया गया है।

हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस मामले में कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि यदि कोर्ट ने संज्ञान नहीं लिया होता, तो यह मामला दब जाता। कोर्ट ने पूछा कि 25 जून की घटना की जानकारी SECR के जीएम और अन्य अधिकारियों को समय पर क्यों नहीं दी गई।

अदालत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक संस्थान में इस तरह की गतिविधियां अनुशासनहीनता की श्रेणी में आती हैं और दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई आवश्यक है।रेल प्रशासन ने बताया कि प्रारंभिक जवाब मिलने के बाद 100 दिनों के भीतर जांच पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद यह मामला अब तेजी से आगे बढ़ रहा है और रेलवे अधिकारियों के लिए यह अनुशासन पर सख्त संदेश साबित हो सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

one plus 15 launch in india