छत्तीसगढ़
Bilaspur News:विश्वविद्यालय की भर्ती पर अदालत का शिकंजा — NCTE नियमों की अनदेखी पर HC ने मांगा स्पष्टीकरण
उच्च शिक्षा संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर एक बार फिर सवाल उठे हैं। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक भर्ती विज्ञापन को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति एन. के. व्यास की बेंच ने विश्वविद्यालय से यह स्पष्ट करने को कहा है कि विज्ञापन किस विषय या कोर्स से संबंधित है और क्या यह नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) के मानकों का पालन करता है।

BILASPUR NEWS.उच्च शिक्षा संस्थानों में भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर एक बार फिर सवाल उठे हैं। गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक भर्ती विज्ञापन को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है। न्यायमूर्ति एन. के. व्यास की बेंच ने विश्वविद्यालय से यह स्पष्ट करने को कहा है कि विज्ञापन किस विषय या कोर्स से संबंधित है और क्या यह नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) के मानकों का पालन करता है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अशुतोष शुक्ला ने दलील दी कि विश्वविद्यालय ने भर्ती विज्ञापन में विषय और योग्यता का उल्लेख ही नहीं किया, जिससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लग गया है। उन्होंने कहा कि NCTE के वर्ष 2014 के दिशा-निर्देशों के अनुसार शिक्षण पदों के लिए पात्रता और विषय स्पष्ट करना अनिवार्य है।
वहीं, विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता नवीन चौबे ने कहा कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम, 1993 की धारा 32(2) के तहत समाजशास्त्र, मनोविज्ञान या अन्य सामाजिक विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर डिग्री और एम.ए. या एम.एड. में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंक अनिवार्य हैं।
अदालत ने टिप्पणी की कि भर्ती प्रक्रिया में अस्पष्टता न केवल उम्मीदवारों के अधिकारों को प्रभावित करती है, बल्कि शिक्षा संस्थान की विश्वसनीयता पर भी असर डालती है। अदालत ने कहा कि “जब तक विश्वविद्यालय यह नहीं बताएगा कि विज्ञापन किस विषय के लिए है, तब तक इसे अधूरा और भ्रामक माना जाएगा।”
कोर्ट ने कुलपति और रजिस्ट्रार को शपथपत्र के माध्यम से विस्तृत जवाब देने के निर्देश दिए हैं और कहा कि विश्वविद्यालय को 9 अक्टूबर के आदेश के पालन में गंभीरता दिखानी चाहिए।





