छत्तीसगढ़

Bilaspur News:हाईकोर्ट का ऐतिहासिक निर्णय : मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर की सीधी भर्ती रद्द, अब केवल प्रमोशन से होंगी नियुक्तियाँ

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़ा एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर पद पर होने वाली सीधी भर्ती (Direct Recruitment) को पूरी तरह अवैध करार दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अब प्रोफेसर की नियुक्तियाँ केवल प्रमोशन (Promotion) से ही होंगी। यह अहम फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनाया।

BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़ा एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर पद पर होने वाली सीधी भर्ती (Direct Recruitment) को पूरी तरह अवैध करार दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अब प्रोफेसर की नियुक्तियाँ केवल प्रमोशन (Promotion) से ही होंगी। यह अहम फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनाया।

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अदालत की टिप्पणी
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में वर्षों से कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसरों को वरिष्ठता और पदोन्नति का संवैधानिक अधिकार है। यदि सीधी भर्ती की अनुमति दी जाती है तो इससे उनके अधिकारों का हनन होगा। न्यायालय ने निर्देश दिया कि भविष्य में प्रोफेसर पद की नियुक्तियाँ विभागीय पदोन्नति समिति (DPC) की अनुशंसा से ही की जाएँ।

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फैसले का दूरगामी असर
1. राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अब सीधी भर्ती का रास्ता बंद हो जाएगा।
2. लंबे समय से पदोन्नति का इंतज़ार कर रहे चिकित्सक-शिक्षकों को न्याय मिलेगा।
3. कॉलेजों में अनुभवी और वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर पद पर पदोन्नत होकर छात्रों को पढ़ा सकेंगे।
4. नियुक्तियों की प्रक्रिया अब और पारदर्शी और व्यवस्थित होगी।
 विशेषज्ञों की राय
चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि इस निर्णय से कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी। प्रमोशन पाने वाले शिक्षक वर्षों का अनुभव लेकर कक्षा और शोध कार्य में योगदान देंगे। इससे मेडिकल छात्रों को बेहतर मार्गदर्शन मिलेगा और संस्थानों की अकादमिक स्थिति मजबूत होगी।

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मामले की पृष्ठभूमि
मामले की सुनवाई एक याचिका पर की गई थी जिसमें कहा गया था कि प्रोफेसर पद पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया से कॉलेजों में पहले से कार्यरत शिक्षक वंचित हो रहे हैं। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि यह नियम सेवा शर्तों और प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। अदालत ने इन दलीलों को स्वीकार करते हुए सीधी भर्ती पर रोक लगा दी।
 अगला कदम
इस फैसले के बाद अब चिकित्सा शिक्षा विभाग को प्रमोशन प्रक्रिया को तेज़ और पारदर्शी बनाने की चुनौती होगी। विभागीय पदोन्नति समितियों को नियमित बैठकों के माध्यम से योग्य और वरिष्ठ शिक्षकों की पदोन्नति सुनिश्चित करनी होगी, ताकि कॉलेजों में रिक्त पद लंबे समय तक खाली न रहें।

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