Bilaspur News:पति–पत्नी 11 साल से अलग, फिर किस बात का विवाह, हाईकोर्ट ने सुनाया निर्णायक फैसला
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक ऐसे वैवाहिक विवाद पर फैसला सुनाया है, जो सिर्फ कानूनी रूप से चल रहा था लेकिन व्यावहारिक रूप से 11 साल से खत्म हो चुका था। कोर्ट ने कहा कि अगर पति–पत्नी इतने लंबे समय तक अलग रह रहे हों और साथ रहने की कोई इच्छा भी न हो, तो ऐसे रिश्ते को बनाए रखना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक ऐसे वैवाहिक विवाद पर फैसला सुनाया है, जो सिर्फ कानूनी रूप से चल रहा था लेकिन व्यावहारिक रूप से 11 साल से खत्म हो चुका था। कोर्ट ने कहा कि अगर पति–पत्नी इतने लंबे समय तक अलग रह रहे हों और साथ रहने की कोई इच्छा भी न हो, तो ऐसे रिश्ते को बनाए रखना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।
अदालत ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पति की तलाक अपील मंजूर कर ली और पत्नी को दो महीने में 20 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश जारी किया।
मामला अंबिकापुर के एक 45 वर्षीय व्यक्ति का है, जिसकी शादी 2009 में रायपुर निवासी महिला से हुई थी। पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी शादी के एक महीने बाद ही मायके चली गई और 2013 व 2014 में लौटने के बावजूद वैवाहिक संबंधों के प्रति उदासीन रही। पति का कहना था कि पत्नी शारीरिक संबंधों से इनकार करती थी और संबंध बनाने की कोशिश पर आत्महत्या की धमकी देती थी।
वहीं पत्नी ने पलटकर आरोप लगाया कि पति योग-साधना में इतना डूबा रहता था कि वैवाहिक जीवन में रुचि ही नहीं लेता था। उसने पति पर उत्पीड़न के आरोप भी लगाए, लेकिन ‘वैवाहिक अधिकार बहाली’ की अपनी अर्जी बाद में वापस ले ली।
हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि दंपत्ति 11 वर्षों से अलग रह रहे हैं और अब रिश्ते को बचाने की कोई गुंजाइश नहीं दिखती। कोर्ट ने कहा— जब दंपत्ति इतने वर्षों तक अलग जीवन जी रहे हों, तो केवल नाममात्र का वैवाहिक बंधन बनाए रखना न्यायोचित नहीं है।
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अदालत ने लंबे अलगाव, वैवाहिक दायित्वों के निर्वहन से इनकार और साथ रहने की इच्छा न होने को तलाक के पर्याप्त आधार मानते हुए विवाह समाप्त कर दिया।





