Raipur Mojo Mushroom Factory News: रायपुर मोजो मशरूम फैक्ट्री केस, मजदूरों को बनाया बंधक, ब्लेड से हमला, 18 घंटे तक कराया जाता था काम
Mojo Mushroom Factory, Raipur: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित मोजो मशरूम फैक्ट्री को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है।

Mojo Mushroom Factory, Raipur: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित मोजो मशरूम फैक्ट्री को लेकर सनसनीखेज खुलासा हुआ है। खरोरा थाना क्षेत्र के पिकरीडीह गांव स्थित इस फैक्ट्री में बाल श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों के शोषण का गंभीर मामला सामने आया है। पुलिस ने इस केस में चार ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि मजदूरों को उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से लाकर फैक्ट्री में जबरन बंधक बनाकर 18-18 घंटे तक काम करवाया जाता था।
महिलाओं-बच्चों के साथ अमानवीय व्यवहार | Inhuman treatment with women and children
11 जुलाई को महिला एवं बाल विकास विभाग (Women and Child Development Department) ने अन्य विभागों के सहयोग से 97 मजदूरों को फैक्ट्री से रेस्क्यू किया। इनमें महिलाएं, पुरुष और छोटे बच्चे तक शामिल थे। एक महिला ने तो रायपुर में ही एक 10 दिन के बच्चे को जन्म दिया, जिसे भी मां के साथ फैक्ट्री में बंधक बनाकर रखा गया था।
ठेकेदारों ने झूठे वादों से मजदूरों को फंसाया | Contractors lured laborers with fake promises
FIR में जिन चार ठेकेदारों को आरोपी बनाया गया है, उनमें से एक भोला नामक व्यक्ति मजदूरों को उत्तर प्रदेश से काम के बहाने रायपुर लेकर आया था। उसने कहा था कि मशरूम पैकिंग का आसान काम मिलेगा और 14-15 हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जाएगा। लेकिन मजदूरों को वेतन नहीं मिला और उल्टा मारपीट कर जबरन मशरूम काटने, ढोने और साफ करने जैसे भारी काम करवाए गए।
18 घंटे काम और सिर्फ 3 घंटे की नींद | 18 hours work and only 3 hours sleep
मजदूरों ने बताया कि उन्हें रोज रात 2 बजे जगा दिया जाता था और लगातार 18 घंटे तक काम करवाया जाता था। नींद के लिए मुश्किल से 3 से 4 घंटे मिलते थे। अगर कोई थककर सो जाता तो ठेकेदार उसे डंडों, फाइबर पाइप और लात-घूंसों से पीटकर उठाता था।
कच्चा खाना और दरवाजे बंद | Undercooked food and locked doors
मजदूरों को शाम 4 बजे खाना दिया जाता था, जिसमें सिर्फ अधपकी दाल और चावल होते थे। कई बार तो चावल और दाल पूरी तरह से नहीं पकी होती थी। बाहर से कुछ भी मंगाने या खाने की इजाजत नहीं थी। फैक्ट्री का दरवाजा हमेशा बंद रहता था ताकि कोई भाग न सके।
मोबाइल और पहचान पत्र छीने गए | Phones and ID cards were seized
फैक्ट्री में मजदूरों के मोबाइल और आधार कार्ड जब्त कर लिए गए थे ताकि वे किसी से संपर्क न कर सकें और बाहर भाग न पाएं। मजदूरों को बंधक बनाकर जानवरों की तरह व्यवहार किया जाता था। एक मजदूर ने बताया कि फैक्ट्री सुपरवाइजर नितेश तिवारी ने उसके पैर की उंगली पर ब्लेड से हमला कर दिया था, जिससे वह चल भी नहीं पा रहा था।
छोटे बच्चों तक को पीटा गया | Even infants were assaulted
मजदूरों ने बताया कि फैक्ट्री मालिक और सुपरवाइजर ने छोटे-छोटे बच्चों को भी नहीं छोड़ा। एक बच्चे की पीठ पर चोट के गंभीर निशान थे। पिता ने बताया कि बच्चे ने खाना मांगा था, जिसके बाद फैक्ट्री के कर्मचारियों ने उसकी पिटाई कर दी।
मजदूरों ने रात को भागकर मांगी मदद | Laborers fled at night to seek help
यह पूरा मामला तब उजागर हुआ जब कुछ मजदूर 2 जुलाई की रात को फैक्ट्री से चुपचाप निकलकर 15-20 किलोमीटर पैदल चलकर रायपुर पहुंचे और भाठागांव बस स्टैंड पर स्थानीय लोगों से मदद मांगी। उन्होंने पुलिस को अपनी आपबीती सुनाई।
मजदूरों को ट्रेन टिकट देकर भेजना चाहा वापस | Laborers were hurriedly sent back with train tickets
जब प्रशासन ने फैक्ट्री पर कार्रवाई की तो मालिक पक्ष के लोग मजदूरों को पैसे देकर मामला दबाने की कोशिश करने लगे। इतना ही नहीं, मजदूरों को वापस उनके गांव भेजने के लिए तुरंत ट्रेन के टिकट भी बुक करवा दिए गए, ताकि मामला शांत हो जाए और वे गवाही न दे सकें।
फैक्ट्री मालिक अभी तक आरोपी नहीं | Factory owner not yet accused
इस मामले में पुलिस ने बाल श्रम निषेध अधिनियम (Child Labour Prohibition Act), बंधुआ मजदूरी अधिनियम (Bonded Labour Act), भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। लेकिन अब तक मोजो मशरूम फैक्ट्री (जिसका व्यावसायिक नाम मारुति फ्रेश है) के असली मालिक को आरोपी नहीं बनाया गया है।
97 मजदूरों को इनडोर स्टेडियम में ठहराया गया | 97 laborers housed in Indoor Stadium
रेस्क्यू किए गए मजदूरों को फिलहाल रायपुर के इनडोर स्टेडियम में अस्थायी रूप से ठहराया गया है, जहां उनके खाने-पीने और मेडिकल जांच की व्यवस्था की गई है। मजदूरों ने जो पॉलिथीन दिखाई उस पर ‘मारुति फ्रेश’ और पिकरीडीह गांव, उमाश्री राइस मिल के पास, खरोरा लिखा हुआ है, जो इस शोषण की पुष्टि करता है।