Bilaspur News: कार्यभार ग्रहण करने के बाद तबादला आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती, डिवीजन बेंच ने याचिका की खारिज
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि ट्रांसफर आदेश पर आपत्ति तब तक मान्य है, जब तक कर्मचारी नई जगह कार्यभार ग्रहण नहीं कर लेता। एक बार जॉइनिंग देने के बाद तबादले को चुनौती देना “कानूनी रूप से निरर्थक” है।

BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया है कि ट्रांसफर आदेश पर आपत्ति तब तक मान्य है, जब तक कर्मचारी नई जगह कार्यभार ग्रहण नहीं कर लेता। एक बार जॉइनिंग देने के बाद तबादले को चुनौती देना “कानूनी रूप से निरर्थक” है।
यह मामला शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अभनपुर की इतिहास विषय की एक लेक्चरर से जुड़ा है। राज्य शासन ने उन्हें राजपुर ट्रांसफर कर दिया था। लेक्चरर ने आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी कि काउंसलिंग प्रक्रिया में अधिकारियों ने उपलब्ध रिक्तियों की जानकारी छिपाई और उनका ट्रांसफर युक्तियुक्तकरण नीति के खिलाफ था।
शासन की दलील:
राज्य शासन की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि ट्रांसफर आदेश पूर्णतः युक्तियुक्तकरण और परामर्श प्रक्रिया के तहत जारी हुआ था और याचिकाकर्ता ने स्वयं नई जगह कार्यभार ग्रहण कर लिया था, जिससे आदेश का क्रियान्वयन सिद्ध होता है।
कोर्ट की टिप्पणी:
डिवीजन बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता ने ट्रांसफर स्थान पर जॉइनिंग देने के बाद ही याचिका दायर की। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के यू.पी. सिंह बनाम पंजाब नेशनल बैंक और तरुण कानूनगो बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामलों का हवाला देते हुए कहा —जब कोई कर्मचारी आदेश का पालन कर लेता है, तो वह आदेश स्वीकार कर लिया गया माना जाता है। उसके बाद विरोध करना अनुचित है।
अंतिम फैसला:
कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अपनी पुरानी नियुक्ति पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए ट्रांसफर आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पूरी तरह खारिज कर दी गई।






