श्रीमद्भागवत महापुराण की पुण्यकथा में शिव चरित्र एवं ध्रुव भक्ति का अलौकिक वर्णन — आचार्य संदीप तिवारी जी की वाणी से गूंजा भक्ति का स्वर
BILASPUR NEWS. पुण्यधरा पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के पावन प्रसंगों में आज चौथे दिवस पर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे, जब परम श्रद्धेय आचार्य संदीप तिवारी जी महाराज ने भगवान शिव के चरित्र एवं ध्रुव बालक की अनुपम भक्ति का दिव्य वर्णन किया

BILASPUR NEWS. पुण्यधरा पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा के पावन प्रसंगों में आज चौथे दिवस पर श्रद्धालु भावविभोर हो उठे, जब परम श्रद्धेय आचार्य संदीप तिवारी जी महाराज ने भगवान शिव के चरित्र एवं ध्रुव बालक की अनुपम भक्ति का दिव्य वर्णन किया।
कथा मंडप में जैसे ही आचार्य श्री ने भगवान शिव की करूणा, तपस्या एवं सहज स्नेह से युक्त चरित्र का निरूपण आरंभ किया, समस्त वातावरण “हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठा। उन्होंने बताया कि भगवान शिव अनादि, अनंत, और सच्चे भक्तों के प्रति शीघ्र प्रसन्न होने वाले देव हैं — आशुतोष।
तत्पश्चात ध्रुव चरित्र का मार्मिक वर्णन हुआ, जहाँ केवल पाँच वर्ष के बालक ने संसारिक ठोकरों के बीच ईश्वर की शरण लेकर तपोबल से परम पद प्राप्त किया। आचार्य श्री ने भावपूर्ण स्वर में कहा,”ध्रुव की भक्ति यह सिखाती है कि जब मनुष्य सच्चे हृदय से भगवान को पुकारता है, तब स्वयं विष्णु भी प्रकट होते हैं।”
संपूर्ण कथा स्थल पर श्रद्धा, भक्ति और दिव्यता की त्रिवेणी प्रवाहित होती रही। श्रद्धालुओं ने श्रद्धा के साथ भगवान शिव व ध्रुव का स्मरण करते हुए आरती एवं भजनों में भाग लिया।