Bilaspur News: छत्तीसगढ़ की धरती पर बांस गीत का इतिहास रचा: 156 कलाकारों की एक साथ गूंज से माहौल झूम उठा
पंडित देवकीनंदन दीक्षित सभा भवन में शनिवार को ऐसा अद्भुत नज़ारा देखने को मिला, जिसे देखकर हर श्रोता झूम उठा। बांस गीत-गाथा अकादमी छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित भव्य बांस गीत–गाथा समारोह में 150 से अधिक बांस गायक और वादक कलाकारों ने एक साथ प्रस्तुति देकर ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना दिया। दोपहर 2 बजे शुरू हुआ यह सांस्कृतिक पर्व देर रात तक चलता रहा और पूरा परिसर बांस वाद्य की लय, लोकगाथाओं की ऊर्जा और सामूहिक स्वर की गूंज से भर गया।

BILASPUR NEWS. पंडित देवकीनंदन दीक्षित सभा भवन में शनिवार को ऐसा अद्भुत नज़ारा देखने को मिला, जिसे देखकर हर श्रोता झूम उठा। बांस गीत-गाथा अकादमी छत्तीसगढ़ द्वारा आयोजित भव्य बांस गीत–गाथा समारोह में 150 से अधिक बांस गायक और वादक कलाकारों ने एक साथ प्रस्तुति देकर ऐतिहासिक रिकॉर्ड बना दिया। दोपहर 2 बजे शुरू हुआ यह सांस्कृतिक पर्व देर रात तक चलता रहा और पूरा परिसर बांस वाद्य की लय, लोकगाथाओं की ऊर्जा और सामूहिक स्वर की गूंज से भर गया।
मुख्य अतिथि बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने इसे छत्तीसगढ़ की संस्कृति का संगम बताते हुए कहा बांस गीत हमारे इतिहास और अस्मिता का जीवंत प्रतीक है। ऐसा आयोजन सचमुच मील का पत्थर है। विशिष्ट अतिथि पद्मश्री फूलबासन यादव ने कलाकारों के आत्मविश्वास और विशाल प्रस्तुति को ‘अद्भुत और गौरवपूर्ण क्षण’ बताया। उन्होंने डॉ. सोमनाथ यादव और उनकी टीम की सराहना की। समारोह के अध्यक्ष और पूर्व महापौर रामशरण यादव ने याद दिलाया कि “अकादमी पिछले 10 वर्षों से गांव-गांव जाकर बांस कलाकारों को मंच देकर सम्मानित करने का बड़ा काम कर रही है।
बांस गीत विलुप्ति के कगार पर, संरक्षण आवश्यक”—डॉ. सोमनाथ यादव
अकादमी अध्यक्ष डॉ. सोमनाथ यादव ने मंच से स्पष्ट कहा कि बांस गीत भारत में केवल छत्तीसगढ़ में गाया-बजाया जाता है। यह वाचिक परंपरा तेजी से कमजोर हो रही है, युवाओं की रुचि घट रही है। जब तक सरकारी मंचों में जगह नहीं मिलेगी, संरक्षण मुश्किल होगा।
उन्होंने बताया कि बांस गीत—महाभारत, वीर लोरिक और वर्तमान सामाजिक परिस्थितियों पर आधारित गाथाओं को गीत और वाद्य के साथ प्रस्तुत करता है और यह यादव जातीय गौरव की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है।
156 कलाकारों की सामूहिक प्रस्तुति ने मोहा मन
समारोह की शुरुआत वीर लोरिक पर आधारित विशेष प्रसंग से हुई, जिसमें 150+ कलाकारों ने एक साथ बांस गायन और वादन किया।
यह दृश्य ऐसा था मानो सदियों पुरानी परंपरा आधुनिक मंच पर नए जोश के साथ पुनर्जीवित हो गई हो। इसके बाद 40 दलों ने अलग-अलग ऐतिहासिक और पारंपरिक प्रसंगों की प्रस्तुति देकर पूरे हॉल में रोमांच भर दिया।
बिलासपुर से कोरबा तक पूरे अंचल के कलाकार शामिल
इस विशाल आयोजन में बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर, बलौदाबाजार, कवर्धा, बेमेतरा, पेंड्रा, कोरबा सहित कई जिलों से बांस गायक, वादक और सहयोगी कलाकार पहुंचे।
समाजसेवियों व रावत नृत्य दलों का सम्मान
सिरगिट्टी, मस्तूरी, तखतपुर, मंगला, सकरी, बेलतरा और अन्य क्षेत्रों के रावत नृत्य दलों तथा समाजसेवी श्रीराम यादव (मुंगेली) को श्रीफल, शाल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।
सफल आयोजन में बड़ी टीम का सहयोग
समारोह का संचालन डॉ. सोमनाथ यादव और आभार प्रदर्शन महासचिव संतोष कुमार यादव ने किया। इसे सफल बनाने में उपाध्यक्ष नीरज यादव, पार्षद लक्ष्मी यादव, जिला यादव समाज अध्यक्ष शिवशंकर यादव सहित बड़ी संख्या में पदाधिकारी, कलाकार और बिलासा कला मंच के सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।








