छत्तीसगढ़

Bilaspur News:’सेवा का दावा, पर शर्तों का पालन नहीं’, मिशन अस्पताल की अपील खारिज

शहर के चांटापारा में स्थित मिशन अस्पताल की जमीन को लेकर चले लंबे विवाद में अब पूरी तस्वीर साफ हो गई है। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी भूमि पर धार्मिक या सामाजिक सेवा करना किसी संस्थान को स्थायी कब्जे का अधिकार नहीं देता। वर्षों पुरानी सेवाओं और विरासत के तर्क के बावजूद कोर्ट ने कहा कि लीज नवीनीकरण तभी संभव है जब शर्तों का पालन हो, अन्यथा जमीन पर रहने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं।

BILASPUR NEWS. शहर के चांटापारा में स्थित मिशन अस्पताल की जमीन को लेकर चले लंबे विवाद में अब पूरी तस्वीर साफ हो गई है। हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकारी भूमि पर धार्मिक या सामाजिक सेवा करना किसी संस्थान को स्थायी कब्जे का अधिकार नहीं देता। वर्षों पुरानी सेवाओं और विरासत के तर्क के बावजूद कोर्ट ने कहा कि लीज नवीनीकरण तभी संभव है जब शर्तों का पालन हो, अन्यथा जमीन पर रहने का कोई वैधानिक अधिकार नहीं।

मिशन अस्पताल ने जिस जमीन पर अस्पताल, नर्सिंग स्कूल और अन्य गतिविधियां चलाईं, वह जमीन सरकारी है। इसे 1959 में लीज पर दिया गया था। लेकिन पिछले 27 साल से लीज का नवीनीकरण नहीं हुआ। इस बीच परिसर में कई निर्माण और गतिविधियां बिना अनुमति जारी रहीं, जिन पर प्रशासन ने आपत्ति दर्ज की।

हाईकोर्ट क्यों सख्त हुआ?

  • लीज शर्तों का उल्लंघन साबित हुआ
  • 16 अगस्त 2024 को जारी अवैध निर्माण हटाने के नोटिस को चुनौती नहीं दी गई
  • संस्थान के पास जमीन का न वैध टाइटल, न ही पुनः आवंटन का हक
    कोर्ट ने कहा—“सेवा करना सराहनीय है, लेकिन कानून से ऊपर कोई संस्था नहीं।”

फैसले के बाद क्या हुआ?
हाईकोर्ट के आदेश के 24 घंटे के भीतर नगर निगम की अतिक्रमण टीम और राजस्व अमला अस्पताल परिसर पहुंचा और अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया। कार्रवाई के दौरान थोड़ी बहस हुई, लेकिन पुलिस बल तैनात होने से स्थिति नियंत्रण में रही।

स्थानीय प्रभाव और आगे की दिशा
अस्पताल अब भी कई मरीजों के लिए भरोसे का केंद्र है। इसलिए प्रशासन ने कहा है कि स्वास्थ्य सेवाओं को बंद नहीं किया जाएगा, सिर्फ अवैध कब्जे और निर्माण को हटाया जा रहा है।

अब यह मामला सिर्फ जमीन का नहीं, बल्कि शहर में संस्थानों के संचालन और जवाबदेही का मानक तय करने वाला मामला बन गया है। यह सवाल भी खड़ा हुआ है कि सेवा के नाम पर कब तक सरकारी जमीनों पर कब्जा चलता रहेगा?

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