छत्तीसगढ़

Bilaspur News: प्रशासन के दावे फेल, डीजे-धुमाल का शोर, हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश

फेस्टिव सीजन में ध्वनि प्रदूषण और अव्यवस्था पर प्रशासन की सख्ती के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। डीजे और धुमाल के शोर से लोग परेशान हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि शपथपत्र में किए गए वादों पर कड़ाई से अमल कराया जाए।

BILASPUR NEWS. फेस्टिव सीजन में ध्वनि प्रदूषण और अव्यवस्था पर प्रशासन की सख्ती के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। डीजे और धुमाल के शोर से लोग परेशान हैं। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए आदेश दिया कि शपथपत्र में किए गए वादों पर कड़ाई से अमल कराया जाए।

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मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु ने सुनवाई के दौरान बढ़ते शोर प्रदूषण पर चिंता जताई और कहा कि सरकार को इस पर जल्द से जल्द कानून में संशोधन करना चाहिए। अदालत ने त्योहारों के दौरान सख्त निगरानी रखने के आदेश दिए और कहा कि CCTV कैमरों की मदद से नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई की जाए।

प्रशासन के दावे जमीनी हकीकत में फेल

राज्य शासन ने अपने शपथपत्र में कोलाहल अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई का दावा किया था। लेकिन बिलासपुर में शाम होते ही डीजे और धुमाल का शोर प्रशासन की तैयारियों की पोल खोल देता है।
23 सितंबर की शोभायात्रा के दौरान शहर में जगह-जगह जाम लग गया और रातभर तेज आवाज वाले डीजे और धुमाल से लोग परेशान रहे।

 

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शासन का जवाब: कोलाहल नियंत्रण के लिए बनी कमेटी

सुनवाई में शासन की ओर से बताया गया कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 और ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 में संशोधन के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई गई है। इसमें गृह, कानून, शहरी प्रशासन और पर्यावरण विभाग के अधिकारी शामिल हैं।

कमेटी ने संशोधन का प्रारूप तैयार कर 13 अगस्त 2025 को शासन को भेजा था। इसके बाद 14 अगस्त को हुई बैठक में प्रस्तावित संशोधनों की समीक्षा भी की गई। सभी विभागों को कहा गया है कि वे अपनी-अपनी अंतिम रिपोर्ट सचिवों के माध्यम से दें और 15 सितंबर की बैठक में संशोधन मसौदा प्रस्तुत करें। शासन ने शपथपत्र में बताया कि मामला वर्तमान में गृह विभाग के पास विचाराधीन है और यह विभाग आवश्यक कार्रवाई करेगा।

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हस्तक्षेपकर्ता पक्ष का सुझाव

सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता पक्ष ने बताया कि रायपुर जिले में त्योहारों के समय 783 CCTV कैमरे लगाए गए थे। सुझाव दिया गया कि इन कैमरों की फुटेज सुरक्षित रखी जाए, ताकि शोर प्रदूषण नियमों के उल्लंघन पर सबूत सुरक्षित रह सकें।

राज्य के वकील ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि विशेष अवसरों पर CCTV फुटेज सुरक्षित रखने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाएगी और इसका इस्तेमाल नियमों के पालन की निगरानी में किया जाएगा।

अगली सुनवाई

इस मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी। कोर्ट ने साफ कहा कि तब तक शासन को अपने दावों पर अमल का ठोस प्रमाण पेश करना होगा।

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