छत्तीसगढ़

Bilaspur News:परिवार के लिए ट्रेन रोकी, अब भुगतना पड़ा 15 साल का खामियाजा

परिजनों की सुविधा के लिए ट्रेन रोकना एक टीटीई को महंगा पड़ गया। साल 2010 में हुई घटना को लेकर उसे न सिर्फ विभागीय जांच का सामना करना पड़ा बल्कि कोर्ट और कैट के चक्कर भी लगाने पड़े। आखिरकार 15 साल बाद भी उसे राहत नहीं मिल सकी।

BILASPUR NEWS. परिजनों की सुविधा के लिए ट्रेन रोकना एक टीटीई को महंगा पड़ गया। साल 2010 में हुई घटना को लेकर उसे न सिर्फ विभागीय जांच का सामना करना पड़ा बल्कि कोर्ट और कैट के चक्कर भी लगाने पड़े। आखिरकार 15 साल बाद भी उसे राहत नहीं मिल सकी।

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दरअसल, आस्टिन हाइड रेलवे विभाग में टीटीई पद पर कार्यरत थे। 15 जुलाई 2010 को वे बिलासपुर रेलवे स्टेशन से यशवंतपुर एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 2252) में यात्री बनकर सफर कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने ट्रेन की अलार्म चेन दो बार खींची। आरोप था कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनके परिवार की महिलाएं और सामान ट्रेन में चढ़ सकें।
रेलवे ने कराई जांच, विभागीय जांच में दोषी
रेलवे प्रशासन ने विभागीय जांच कराई जिसमें आरपीएफ के दो जवानों की गवाही ली गई। उनके बयानों में साफ हुआ कि आस्टिन हाइड ने परिवार के ट्रेन में नहीं चढ़ पाने के कारण चेन खींची थी। 2012 में उन्हें चेन पुलिंग के लिए दोषी माना गया।

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इसके बाद उनकी दो वेतनवृद्धि रोक दी गईं और दो साल तक वेतन कटौती की सजा दी गई। इतना ही नहीं, उन्हें डिमोशन का सामना भी करना पड़ा। विभागीय अपील और पुनरीक्षण अपील भी खारिज कर दी गई।

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कैट ने भी माना रेलवे की कार्रवाई सही
इसके बाद आस्टिन हाइड ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) के जबलपुर बेंच में अपील की, लेकिन कैट ने भी रेलवे की कार्रवाई को सही ठहराया और उनकी अपील खारिज कर दी।

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