छत्तीसगढ़

Police and Army Clash in Durg: दुर्ग में पुलिस और आर्मीमैन के बीच झंडे को लेकर विवाद; गला पकड़ कर की बदसलूकी

Police and Army Clash in Durg: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के मचांदूर गांव में धार्मिक प्रतीक और त्योहार के बीच टकराव ने एक गंभीर विवाद को जन्म दिया। घटना ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की शाम की है...

Police and Army Clash in Durg: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के मचांदूर गांव में धार्मिक प्रतीक और त्योहार के बीच टकराव ने एक गंभीर विवाद को जन्म दिया। घटना ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की शाम की है, जब स्थानीय पुलिसकर्मी एक आर्मी जवान के घर पर लगे भगवान राम के झंडे को हटवाने पहुंचे। यह मामूली सा मुद्दा देखते ही देखते तनावपूर्ण स्थिति में बदल गया।

The Incident / घटना कैसे हुई

नेहा निषाद, जिनका बेटा कौशल निषाद सेना में है और फिलहाल 20 दिन की छुट्टी पर घर आया हुआ था, ने बताया कि शुक्रवार रात दो पुलिसकर्मी उनके घर पहुंचे। पुलिसकर्मियों ने कहा कि मुस्लिम त्योहार चल रहा है, इसलिए घर से भगवा झंडा हटा लिया जाए। जब परिवार ने झंडा हटाने से इंकार किया तो विवाद बढ़ गया। इसी दौरान पुलिसकर्मी ने आर्मी जवान का कॉलर पकड़ लिया और गाली-गलौज करते हुए थाने ले जाने की धमकी दी। वीडियो में साफ सुना जा सकता है कि एक पुलिसकर्मी जवान से कह रहा है—”होशियारी मत मार, दुनिया बिगाड़ दूंगा।”

सामुदायिक तनाव की झलक

मचांदूर गांव की सामाजिक संरचना भी इस घटना की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है। यहां लगभग 40-50 मुस्लिम परिवार रहते हैं और केवल दो ही हिंदू परिवार मौजूद हैं। नेहा निषाद का परिवार इन्हीं में से एक है। आरोप लगाया गया कि गांव के कुछ लोगों ने पुलिस के साथ मिलकर परिवार पर दबाव बनाया और यहां तक कि जान से मारने की धमकी दी। यह घटना सिर्फ एक झंडे को लेकर विवाद नहीं रही, बल्कि सामुदायिक असुरक्षा और आपसी अविश्वास की तस्वीर भी पेश करने लगी।

बजरंग दल का हस्तक्षेप

विवाद के बाद बजरंग दल इस मामले में खुलकर सामने आया। संगठन ने आरोप लगाया कि गांव में हिंदू परिवारों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि गांव में अवैध निर्माण, गौ-तस्करी और बाहरी लोगों का बसना एक गंभीर समस्या बन चुकी है। कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज करने और मुस्लिम समुदाय के हमलावरों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। संगठन ने प्रशासन को चेतावनी भी दी कि यदि जल्द कदम नहीं उठाए गए तो उग्र आंदोलन होगा।

पुलिस की प्रतिक्रिया और कार्रवाई

दुर्ग जिले के एडिशनल एसपी अभिषेक सिंह ने स्वीकार किया कि घटना का वीडियो वायरल हुआ है और मामले ने गंभीर रूप ले लिया है। उन्होंने बताया कि आरोपित पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है। साथ ही, गांव में अवैध रूप से रह रहे लोगों और भूमि पर कब्जे की भी जांच शुरू कर दी गई है। राजस्व विभाग को इस संबंध में पत्राचार किया गया है।

 बड़ा सवाल

यह घटना सिर्फ एक विवाद नहीं, बल्कि समाज में धार्मिक प्रतीकों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर गहरी बहस छेड़ती है। क्या किसी व्यक्ति को अपने ही घर में धार्मिक झंडा लगाने के लिए अनुमति लेनी पड़ेगी? क्या त्योहारों के नाम पर दूसरे की धार्मिक भावनाओं को दबाया जा सकता है? ऐसे सवाल न सिर्फ इस परिवार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं।

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