छत्तीसगढ़

Bilaspur News:अंधविश्वास पर करारा प्रहार, डायन बताकर हत्या करने वालों को 31 साल बाद सजा, हाईकोर्ट ने कहा—सबूत बोलते हैं, डर नहीं

अंधविश्वास और कुप्रथाओं के नाम पर होने वाली हिंसा के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए 31 साल पुराने हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा कि “डायन बता देना किसी की जान लेने का लाइसेंस नहीं है” और ऐसे मामलों में समाज को प्रेरित करने वाला मजबूत संदेश देने की जरूरत है।

BILASPUR NEWS. अंधविश्वास और कुप्रथाओं के नाम पर होने वाली हिंसा के खिलाफ छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए 31 साल पुराने हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने कहा कि “डायन बता देना किसी की जान लेने का लाइसेंस नहीं है” और ऐसे मामलों में समाज को प्रेरित करने वाला मजबूत संदेश देने की जरूरत है।

क्या था मामला:
5 फरवरी 1994 को महासमुंद जिले के बनियाटोरा गांव में ग्रामीणों ने एक युवक को “भूत-प्रेत का साया” बताकर झाड़-फूंक की। अगले ही दिन भीड़ ने युवक, उसकी पत्नी और बहू को “डायन” ठहराते हुए हमला किया। युवक रतन को घर से घसीटकर खेत में ले जाया गया और बेरहमी से मारपीट कर उसकी हत्या कर दी गई। पत्नी, बहू और पिता गवाह बने और अदालत में बयान दिए।

ट्रायल कोर्ट ने क्यों छोड़ा था आरोपी:
मामले की जांच में बरामद हथियारों पर खून के धब्बे मिले थे। घायल गवाहों की गवाही भी स्पष्ट थी।
लेकिन ट्रायल कोर्ट ने सिर्फ इसलिए आरोपी को बरी कर दिया क्योंकि पोस्टमार्टम करने वाला डॉक्टर कोर्ट में पेश नहीं हुआ।

हाईकोर्ट ने क्या कहा:
हाईकोर्ट ने साफ कहा —भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 32(2) के तहत पोस्टमार्टम रिपोर्ट मान्य है, भले ही डॉक्टर की गवाही न हो। अन्य मजबूत सबूत मौजूद हैं, इसलिए आरोपियों को बरी करना कानून की भारी गलती है।

सजा:
सभी आरोपियों को धारा 302/149 के तहत हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
साथ ही आदेश दिया गया कि आरोपी एक महीने के भीतर सरेंडर करें, अन्यथा पुलिस गिरफ्तारी करेगी।

फैसले का सामाजिक संदेश:
हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि— अंधविश्वास, डायन प्रथा और टोना-टोटका के नाम पर हिंसा समाज के लिए कैंसर है। न्यायालय का कर्तव्य है कि ऐसे मामलों में कड़ा रुख अपनाया जाए। यह फैसला राज्य में चल रही ‘डायन प्रथा विरोधी जागरूकता मुहिम’ को एक मजबूत कानूनी आधार देता है।

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