Bilaspur News:सुनवाई बाकी, कार्रवाई शुरू! हाईकोर्ट ने निगम को फटकारते हुए 19 एकड़ पर स्टे दिया
तिफरा सेक्टर-D स्थित करीब 19 एकड़ की पॉश कॉलोनी को नगर निगम द्वारा राजसात घोषित करने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। गुरुवार सुबह निगम ने विवादित भूमि को राजसात करने का आदेश जारी किया था, जबकि दोपहर में ही हाईकोर्ट ने इस पर तत्काल स्थगन आदेश देकर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि जब मामला पहले से कोर्ट में लंबित है, तब सुनवाई से पहले ऐसी कार्रवाई उचित नहीं।

BILASPUR NEWS. तिफरा सेक्टर-D स्थित करीब 19 एकड़ की पॉश कॉलोनी को नगर निगम द्वारा राजसात घोषित करने की कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। गुरुवार सुबह निगम ने विवादित भूमि को राजसात करने का आदेश जारी किया था, जबकि दोपहर में ही हाईकोर्ट ने इस पर तत्काल स्थगन आदेश देकर नाराजगी जताई। अदालत ने कहा कि जब मामला पहले से कोर्ट में लंबित है, तब सुनवाई से पहले ऐसी कार्रवाई उचित नहीं।
याचिकाकर्ता सुरेंद्र जायसवाल की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट ने 4 नवंबर को नोटिस जारी किया था। सुनवाई के दौरान निगम ने जवाब देने के लिए समय मांगा था, जिसके बाद 12 नवंबर को निगम ने अपना जवाब पेश कर दिया।
इसके बावजूद, सुनवाई से पहले ही गुरुवार सुबह 11 बजे निगम ने कॉलोनी को राजसात करने का आदेश जारी कर दिया। अदालत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कार्यवाही पर तुरंत रोक लगा दी।
जानिए क्या है पूरा मामला?
नगर निगम प्रशासन के अनुसार तिफरा सेक्टर-D की यह पॉश कॉलोनी अवैध बताई गई थी। कॉलोनी की प्लॉटिंग की जांच के लिए कलेक्टर द्वारा दस सदस्यीय समिति गठित की गई थी।
इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 292-ग और 292-छ के तहत कार्रवाई की अनुशंसा की थी। ये धाराएँ अवैध कॉलोनी निर्माण की भूमि का प्रबंधन, अधिग्रहण और भूमि समर्पण से संबंधित हैं। समिति ने कहा था कि कॉलोनी निर्माण के लिए भूमि के समर्पण की प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई है, इसलिए इसे अवैध निर्माण की श्रेणी में रखा गया।
33 दावा-आपत्तियाँ, निगम का दावा—सबका किया निपटारा
समिति की अनुशंसा के आधार पर नगर निगम बिलासपुर ने तीन बार आम सूचना जारी कर कॉलोनी से संबंधित 33 दावा-आपत्तियाँ मांगी थीं। निगम का दावा है कि सभी आपत्तियों का निपटारा कर लिया गया, जिसके बाद कॉलोनी को राजसात करने का निर्णय लिया गया।
दूसरी ओर कॉलोनाइजर सुरेंद्र जायसवाल का कहना है कि निगम की ओर से जारी नोटिसों को उन्होंने पहले ही हाईकोर्ट में चुनौती दी है, और मामला अभी विचाराधीन है। इसलिए राजसात आदेश पूरी तरह अवैध है।
हाईकोर्ट ने कार्रवाई पर लगाई रोक, अगली सुनवाई तय
जस्टिस पार्थ प्रतिम साहू की सिंगल बेंच ने बताया कि जब याचिकाएं लंबित थीं और अगली सुनवाई तय थी, तब निगम का जल्दबाजी में आदेश जारी करना न्यायिक प्रक्रिया के विपरीत है।
इसी आधार पर कोर्ट ने नगर निगम के राजसात आदेश पर तत्काल रोक लगा दी है।






