Asthi Visarjan: गंगा नदी में अस्थि विसर्जन का रहस्य

ASTHI VISHARJAN IN GANGA RIVER.हिंदू धर्म में आपको कई सारे ऐसे महत्वपूर्ण पौराणिक किताबें और ग्रंथ मिलेगी जिसमें मृत्यु के बाद अस्थि विसर्जन के बारे में बताया गया है। ऐसा ही एक ग्रंथ है गरुड़ पुराण जिसमें इन सारी जानकारी का उल्लेख है। सनातन धर्म में व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात उसका अंतिम संस्कार किया जाता है। इस ग्रंथ में इसे एक विशेष धार्मिक संस्कार के रूप में बताया गया है, मृत्यु के पश्चात होने वाली सभी घटनाओं व अनुष्ठानों का उल्लेख इसमें मिलता है जैसे कि स्वर्ग और नरक।
किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसका अंतिम संस्कार किया जाता है फिर उसकी राख और हड्डियों को पवित्र नदी में बहाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। शास्त्रों में उल्लेखित है की गंगा नदी सबसे पवित्र नदी है और अस्थि विसर्जन (asthi visarjan significance) के लिए गंगा नदी को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। तो हम इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि अस्थि विसर्जन के पीछे आखिर क्या वजह है और गंगा नदी में ही क्यों अस्थि विसर्जन किया जाता है।
किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार कर अस्थि विसर्जन की परंपरा सनातन धर्म में बताई गई है जो कि गरुड़ पुराण के अनुसार है। और साथ ही बताया गया है कि जब व्यक्ति की मृत्यु होती है और आत्मा शरीर से बाहर निकल जाती है और अपने नए जीवन की तलाश करती है।
हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना हुआ है पृथ्वी, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी। ऐसा माना जाता है की मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार करने पर हमारा शरीर इन पांच तत्वों में विलीन हो जाता है। इसके बाद तीन दिनों के अंदर अस्थियों को इकट्ठा करके 10 दिन के भीतर गंगा नदी में विसर्जन करने की परंपरा है।
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क्यों किया जाता है गंगा नदी में अस्थि विसर्जन
गरुड़ पुराण के अनुसार अस्थि विसर्जन के लिए गंगा नदी को सबसे पवित्र माना गया है और बताया गया है की गंगा नदी में अस्थि विसर्जन (asthi visarjan in Ganga Importance) से स्वर्ग की प्राप्ति होती है क्योंकि सबसे पहले मां गंगा को राजा भगीरथ ने पृथ्वी पर लाया था और अपने पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करवाई थी। यही वजह है की गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करने से मृतक व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
अस्थि विसर्जन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें
मृत व्यक्ति का अंतिम संस्कार (Hindu funeral tradition) करने के बाद अस्थियों को इकट्ठा करने का काम तीसरे, सातवें और नौवे दिन किया जाता है। इसके बाद 10 दिन के भीतर गंगा नदी में अस्थि विसर्जन का प्रावधान है।
गंगा नदी में अस्थि विसर्जित करते समय मृतक व्यक्ति की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
मंत्र: ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः।
नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम: