AU News Bilaspur:अटल विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार की गूंज: कुलपति और प्रभारी कुलसचिव के खिलाफ वित्त मंत्री से शिकायत
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर में निर्माण कार्यों और संसाधनों के दुरुपयोग को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेई, प्रभारी कुलसचिव डॉ. शैलेंद्र दुबे सहित उच्च अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

ATAL UNIVERSITY BILASPUR. अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर में निर्माण कार्यों और संसाधनों के दुरुपयोग को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एडीएन वाजपेई, प्रभारी कुलसचिव डॉ. शैलेंद्र दुबे सहित उच्च अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस संबंध में प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के वित्त मंत्री ओपी चौधरी से उनके रायपुर निवास में मुलाकात कर विस्तृत शिकायत सौंपी।
बता दें, शिकायत में कहा गया है कि विश्वविद्यालय में बिना दूरदर्शिता के बार-बार निर्माण और उन्नयन कार्य कराए जा रहे हैं, जिससे छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को असुविधा हो रही है। प्रतिनिधियों ने बताया कि –30 लाख की लागत से बना नेचुरोपैथी सेंटर, 10 लाख की लागत वाला मशरूम उत्पादन कुटीर, बिना मापदंड के तीन बार बनाई गई पार्किंग व लेन, जिसका वाई-फाई सिस्टम एक साल भी नहीं टिक पाया, पहले से बने सभागार को तोड़कर 2 करोड़ की लागत से बनाई गई लैंग्वेज लैब, जिसमें अब तक कोई कक्षाएं संचालित नहीं हुई हैं। इसके अलावा विश्वविद्यालय में खरीदे गए ई-रिक्शा, ट्रैक्टर और ट्रॉली का आज तक कोई उपयोग नहीं किया गया है। प्रतिनिधियों का कहना है कि यह सभी काम केवल भ्रष्टाचार के मकसद से कराए गए, जिससे संबंधित अधिकारी निजी लाभ ले रहे हैं।
प्रभारी कुलसचिव डॉ. शैलेंद्र दुबे पर नियमों की अनदेखी कर वित्तीय शक्तियों का मनमाने ढंग से प्रयोग करने का आरोप है। वहीं, कुलपति प्रो. वाजपेई पर विश्वविद्यालय के संसाधनों का निजी प्रचार में उपयोग करने और पूर्व में भी दो विश्वविद्यालयों से अनुशासनहीनता के कारण हटाए जाने की बात भी शिकायत में कही गई है।
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि प्रो. वाजपेई समय के अनुसार राजनीतिक रूप बदलते रहते हैं—पूर्ववर्ती सरकार में दिवंगत कांग्रेस नेताओं के नाम पर शोध पीठ और स्मृति व्याख्यान आयोजित कराते थे। अब वर्तमान सरकार में खुद को अलग छवि में प्रस्तुत कर रहे हैं। प्रतिनिधियों ने नियमित कुलसचिव की शीघ्र नियुक्ति की मांग करते हुए विश्वविद्यालय के भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई और छात्र हित में कार्य करने की मांग की है। यह मामला उच्च शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। अब देखना होगा कि वित्त मंत्री ओपी चौधरी इस पर क्या कदम उठाते हैं।