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Bilaspur News:दीपावली से पहले आ रहा है ‘पुष्य नक्षत्र’ का महामुहूर्त – आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया विशेष महत्व

पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि भारतीय ज्योतिष में पुष्य नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है, जिसे ‘नक्षत्रों का राजा’ कहा गया है। ‘पुष्य’ शब्द का अर्थ है — पोषण करने वाला या शक्ति प्रदान करने वाला। यह भगवान बृहस्पति का नक्षत्र है, जो ज्ञान, समृद्धि और अक्षय शुभता का प्रतीक माना जाता है।

BILASPUR NEWS. पीतांबरा पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि भारतीय ज्योतिष में पुष्य नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों में सर्वोच्च स्थान प्राप्त है, जिसे ‘नक्षत्रों का राजा’ कहा गया है। ‘पुष्य’ शब्द का अर्थ है — पोषण करने वाला या शक्ति प्रदान करने वाला। यह भगवान बृहस्पति का नक्षत्र है, जो ज्ञान, समृद्धि और अक्षय शुभता का प्रतीक माना जाता है।

वर्ष 2025 में दीपावली से ठीक पहले यह अत्यंत शुभ नक्षत्र 14 अक्टूबर (मंगलवार) और 15 अक्टूबर (बुधवार) को पड़ रहा है। यह अवधि खरीदारी, निवेश और नए कार्यारंभ के लिए महामुहूर्त मानी जा रही है।

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पुष्य नक्षत्र का कारकत्व और फल

1. अधिष्ठाता देव: देवगुरु बृहस्पति — ज्ञान, धन और धर्म के कारक।
इनके प्रभाव से जीवन में शुभता, ज्ञान और समृद्धि की वृद्धि होती है।

2. नक्षत्र स्वामी ग्रह: शनि — न्याय और स्थायित्व के प्रतीक।
शनि का प्रभाव इस नक्षत्र में किए गए कार्यों को स्थायी और दीर्घकालिक बनाता है।

इसलिए पुष्य नक्षत्र में किया गया कार्य “अक्षय फल” देता है — अर्थात् उसका लाभ चिरस्थायी होता है।

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पुष्य नक्षत्र में करने योग्य शुभ कार्य
  • सोना, चांदी, पीतल जैसी शुभ धातुओं की खरीदारी
  • वाहन, भूमि या संपत्ति में निवेश
  • नए व्यवसाय, बहीखाते या तिजोरी की शुरुआत
  • माता लक्ष्मी, भगवान विष्णु (सत्यनारायण पूजा) तथा भगवान शिव की पूजा
  • नए मंत्र, जप या अनुष्ठान का आरंभ
  • शिक्षा, विद्या या कला का प्रारंभ
  • घर या मंदिर निर्माण का शुभारंभ (नींव डालना)
 पुष्य नक्षत्र में वर्जित कार्य
  • विवाह: इस दिन विवाह करना वर्जित है, क्योंकि शनि और गुरु के प्रभाव से संबंधों में स्थायित्व आता है — जिससे मतभेद भी स्थायी हो सकते हैं।
  • उधार लेन-देन: इस दिन उधार दिया या लिया गया धन लौटने में कठिनाई देता है।
  • धारदार या चमड़े की वस्तुएँ: चाकू, सुई, चमड़े की वस्तुएँ इस दिन नहीं खरीदी जातीं।

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14 और 15 अक्टूबर 2025 का पुष्य नक्षत्र संयोग दीपावली की समृद्धि को आमंत्रित करने के लिए अत्यंत शुभ है।
यह केवल धन और भौतिक सुखों के लिए ही नहीं, बल्कि ज्ञान, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन के नए सकारात्मक अध्याय शुरू करने के लिए भी उत्तम अवसर है।
इस शुभ मुहूर्त का सदुपयोग कल्याणकारी सिद्ध होगा।

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