High court news: छात्रों के भविष्य को लेकर HC ने रूंगटा एजुकेशन फाउंडेशन को देना होगा 2 लाख का जुर्माना, जानें मामला

HIGH COURT NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एमबीए में प्रवेश और एक माह तक क्लास अटेंड करने के बाद भी एडमिशन नहीं देने के मामले में रूंगटा एजुकेशन फाउंडेशन पर जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सख्ती दिखाते हुए छात्र का एक वर्ष खराब होने पर रूंगटा एजुकेशन फाउंडेशन पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
बता दें, गिरिजापुर कोरिया निवासी रिद्धी साहू रूंगटा कॉलेज से एमबीए कर रही है। उनसे कॉलेज में प्रवेश की सभी औपचारिकताएं पूरी कर शुल्क का भुगतान किया। एक माह तक क्लास भी अटेंड की। तभी उसके प्रवेश पर कुलसचिव विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय व अन्य प्रतिवादियों ने यह कहकर रोक लगा दी कि उसका नाम सीजीडीटीई पोर्टल पर नहीं दिखाया गया है। जिस पर विश्वविद्यालय से एमबीए कोर्स करने वाले छात्रों की सूची प्रदर्शित की गई है। याचिकाकर्ता को 13 नवंबर 2024 से कॉलेज में जाने से रोक दिया गया। प्रतिवादी अधिकारियों की कार्रवाई से व्यथित होकर उसने 20 नवंबर 2024 को डायरेक्टर टेक्नीकल एजुकेशन रायपुर को एक अभ्यावेदन दिया।
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याचिकाकर्ता द्वारा की गई सिफारिश पर 22 नवंबर 2024 को प्रतिवादी 6 प्रिंसिपल शासकीय कन्या पॉलीटेक्नीक कॉलेज की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की एक समिति गठित की। 25 नवंबर 2024 को याचिकार्ता को सीजीडीटीई के काउंसलिंग पोर्टल में प्रवेश के लिए अपने पंजीकरण की प्रति सीजीडीटीई के की काउंसलिंग के माध्यम से प्रवेश के लिए संस्थान को आवंटन पत्र की प्रति और संस्थान में प्रवेश के लिए आवश्यक अन्य प्रासंगिक आवश्यक दस्तावेज जमा करने को कहा। इसी बीच डायरेक्टर रूंगटा एजुकेशन फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट आदेश 8 नवंबर 2024 का उल्लेख कर कहा कि इसे अस्थायी प्रवेश दिया गया था मगर डायरेक्टर टेक्नीकल एजुकेशन द्वारा प्रवेश तिथि नहीं बढ़ाई गई। जिससे याचिकाकर्ता का स्थायी प्रवेश नहीं हो सका।
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इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई। याचिकाकर्ता ने कहा कि प्राचार्य कन्या पॉलीटेक्नीक कॉलेज की अध्यक्षता वाली समिति ने जांच समिति की रिपोर्ट में बताया कि रूंगटा कॉलेज ने याचिकाकर्ता से फीस ली है और नियमों के विरूद्ध उसे कॉलेज में प्रवेश दिया है। चूंकि याचिकाकर्ता की कोई गलती नहीं थी। इसलिए उसे उसी कॉलेज में एमबीए की कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जाए।
हाईकोर्ट ने कहा याचिकाकर्ता मुआवजे की हकदार याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए नुकसान को देखते हुए वह निश्चत रूप से कॉलेज के कृत्य के लिए मुआवजे की हकदार है। इसलिए हम निर्देश देते हैं कि प्रतिवादी संख्या 5 इस आदेश की प्रति प्राप्त होने की तारीख से एक महीने के भीतर उसके द्वारा प्राप्त की गई फीस 36 हजार 7 सौ 91 रुपये को उसके जमा करने की तारीख से उसके वास्तविक भुगतान तक 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ वापस करेगा।