छत्तीसगढ़

BIlaspur News: षष्ठम् दिवस कथा में गूँजा कृष्ण–सुदामा की मित्रता का अमर गीत

श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के षष्ठम् दिवस पर पं. संदीप तिवारी ने श्रीकृष्ण–सुदामा चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा में उन्होंने बताया कि कैसे श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता संसार में निस्वार्थ प्रेम और त्याग का अनुपम उदाहरण है।

BILASPUR NEWS. श्रीमद् भागवत कथा महोत्सव के षष्ठम् दिवस पर पं. संदीप तिवारी ने श्रीकृष्ण–सुदामा चरित्र का भावपूर्ण वर्णन किया। कथा में उन्होंने बताया कि कैसे श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता संसार में निस्वार्थ प्रेम और त्याग का अनुपम उदाहरण है।
पं. तिवारी ने भावविभोर कर देने वाले शब्दों में कहा कि सुदामा, जो अत्यंत निर्धन ब्राह्मण थे, कठिन परिस्थितियों में भी अपने धर्म और आत्मसम्मान को नहीं भूले। पत्नी के आग्रह पर वे अपने बालसखा श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुँचे। हाथ में बस मुट्ठीभर चिवड़ा था, लेकिन हृदय में था अपार स्नेह और श्रद्धा।
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द्वारका पहुँचने पर श्रीकृष्ण ने सुदामा का स्वागत राजसी ठाठ से किया, उनके चरण धोए और गले लगाकर अश्रुपूरित नेत्रों से पुरानी स्मृतियाँ ताज़ा कीं। कथा में पं. तिवारी ने इस मिलन को “प्रेम की ऐसी धारा, जिसमें अहंकार, स्वार्थ और भेदभाव का नामोनिशान न हो” बताया।
बिना कुछ माँगे ही सुदामा के जीवन में श्रीकृष्ण ने समृद्धि बरसा दी। यह प्रसंग सुनते ही पंडाल में मौजूद श्रद्धालु भावुक हो उठे और “हरे कृष्ण, हरे कृष्ण” के जयकारों से वातावरण गूँज उठा।
कथा के अंत में पं. तिवारी ने संदेश दिया कि सच्ची मित्रता वही है, जिसमें लोभ नहीं, केवल प्रेम और विश्वास हो — ठीक वैसे ही जैसे श्रीकृष्ण और सुदामा के बीच था।

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