छत्तीसगढ़

Bilaspur News: 2019 भर्ती शिक्षकों को हाई कोर्ट से बड़ी राहत, पूरी सैलरी बहाल, स्टाइपेंड नीति खत्म—पे-प्रोटेक्शन भी अनिवार्य

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2019 की शिक्षक भर्ती से जुड़े हजारों शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार की नई स्टाइपेंड नीति को अमान्य घोषित कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि 2019 के विज्ञापन के आधार पर नियुक्त शिक्षकों पर 2020 की संशोधित स्टाइपेंड नीति लागू नहीं की जा सकती। इसके साथ ही शिक्षकों को नियुक्ति के पहले दिन से ही पूरा बेसिक पे व पे-प्रोटेक्शन देने का आदेश दिया गया है।

RAIPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने 2019 की शिक्षक भर्ती से जुड़े हजारों शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए राज्य सरकार की नई स्टाइपेंड नीति को अमान्य घोषित कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि 2019 के विज्ञापन के आधार पर नियुक्त शिक्षकों पर 2020 की संशोधित स्टाइपेंड नीति लागू नहीं की जा सकती। इसके साथ ही शिक्षकों को नियुक्ति के पहले दिन से ही पूरा बेसिक पे व पे-प्रोटेक्शन देने का आदेश दिया गया है।

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सरकार का तर्क कोर्ट ने खारिज किया

राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि नियुक्ति आदेश 2020 में जारी हुए थे, इसलिए उस समय लागू नई नीति लागू होगी।
लेकिन कोर्ट ने इसे यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि—

  • भर्ती प्रक्रिया 2019 के विज्ञापन के तहत शुरू हुई थी
  • उम्मीदवारों ने इसी विज्ञापन की शर्तों पर आवेदन किया
  • इसलिए सरकार बाद में नियम बदलकर पुराने विज्ञापन वाले पदों पर नई शर्तें लागू नहीं कर सकती

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 तकनीकी इस्तीफा भी सर्विस ब्रेक नहीं

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया:

  • जिन शिक्षकों ने पहले किसी सरकारी विभाग में कार्य किया था और बाद में तकनीकी इस्तीफा देकर नई पोस्ट जॉइन की, इसे सर्विस ब्रेक नहीं माना जाएगा।
  • ऐसे कर्मचारियों को पूरा पे-प्रोटेक्शन मिलना अनिवार्य है।

कोर्ट ने कहा कि जब कोई कर्मचारी लगातार सेवा देता आ रहा है तो उसे वास्तविक वित्तीय लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता।

 सरकार अन्य जिलों में दे चुकी है लाभ

कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि—

  • राज्य सरकार ने कुछ जिलों में शिक्षकों को पे-प्रोटेक्शन और पूरा वेतन दिया है।
  • इसलिए भेदभाव नहीं किया जा सकता।
  • सभी पर एक समान नियम लागू होगा।

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क्या था पुराना और नया नियम?
  • 2019 विज्ञापन के तहत: 2 साल प्रोबेशन + 100% बेसिक पे
  • सरकार ने 2020 में बदला नियम:
    • पहला साल: 70% सैलरी
    • दूसरा साल: 80% सैलरी
    • तीसरा साल: 90% सैलरी

नियुक्ति प्रक्रिया देर से पूरी होने के कारण सरकार ने 2020 की स्टाइपेंड व्यवस्था इन्हीं अभ्यर्थियों पर लागू कर दी थी। इससे हजारों शिक्षकों की सैलरी प्रभावित हुई।

याचिकाकर्ताओं की दलील

अमृत लाल साहू, रवि कुमार श्रीवास्तव, मनोज कुमार मेनहर, जितेश कुमार समेत अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में चुनौती दी थी कि भर्ती 2019 की शर्तों पर हुई, सरकार ने बिना सूचना दिए नई सैलरी नीति लागू कर दी, इससे उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन हुआ।

 आदेश से यह होगा बड़ा फायदा

हाई कोर्ट के फैसले के बाद—

  • सभी याचिकाकर्ता शिक्षकों को जॉइनिंग डेट से 100% बेसिक पे मिलेगा।
  • उनकी पहले की सेवा (यदि कोई) भी मान्य मानी जाएगी।
  • उन्हें पे-प्रोटेक्शन दिया जाएगा।
  • स्टाइपेंड नीति का प्रभाव पूर्ण रूप से समाप्त।
  • वित्तीय लाभों का भुगतान भी किए जाने की संभावना।

इस ऐतिहासिक फैसले से राज्य के शिक्षकों में भारी उत्साह है, क्योंकि लंबे समय से चल रहे वेतन विवाद का समाधान आखिर मिल गया है।

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