छत्तीसगढ़

Bilaspur News: 4 माह बाद भी सिम्स में नहीं पहुंची मशीन : हाईकोर्ट सख्त, शासन से मांगा शपथपत्र

प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल अंबेडकर अस्पताल (सिम्स) में मरीजों की जांच के लिए खरीदी जाने वाली अत्याधुनिक मशीन की सप्लाई 4 माह बाद भी नहीं हो पाई है। इस देरी को लेकर गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य शासन पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब मशीन खरीदी के लिए 15 करोड़ रुपए की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है तो फिर अब तक खरीदी क्यों नहीं हो सकी?

BILASPUR NEWS. प्रदेश के सबसे बड़े शासकीय अस्पताल अंबेडकर अस्पताल (सिम्स) में मरीजों की जांच के लिए खरीदी जाने वाली अत्याधुनिक मशीन की सप्लाई 4 माह बाद भी नहीं हो पाई है। इस देरी को लेकर गुरुवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य शासन पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब मशीन खरीदी के लिए 15 करोड़ रुपए की मंजूरी पहले ही दी जा चुकी है तो फिर अब तक खरीदी क्यों नहीं हो सकी?

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याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि मरीजों को समय पर जांच और इलाज उपलब्ध कराना शासन की जिम्मेदारी है। मशीन की अनुपलब्धता से अस्पताल में आने वाले हजारों मरीजों को कठिनाई झेलनी पड़ रही है। कई गंभीर बीमारियों की जांच रायपुर या निजी अस्पतालों में करानी पड़ रही है, जिससे मरीजों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। गरीब और ग्रामीण अंचल से आने वाले मरीजों की हालत और भी खराब है, क्योंकि न तो उनके पास महंगे निजी अस्पतालों का खर्च उठाने की क्षमता है और न ही हर बार रायपुर जाने की सुविधा।

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याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि मशीन न होने से कैंसर, किडनी और गंभीर रोगों की जांच अधर में लटकी हुई है। समय पर जांच न हो पाने से कई मरीजों का इलाज भी विलंबित हो रहा है। यही नहीं, कई बार डॉक्टरों को सही रिपोर्ट न मिलने से उपचार पर भी असर पड़ रहा है।

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इस स्थिति को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट ने शासन से शपथपत्र (एफिडेविट) के माध्यम से स्पष्ट जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि खरीदी की प्रक्रिया में लापरवाही बरतना सीधे-सीधे मरीजों की जान से खिलवाड़ है। सरकार को यह बताना होगा कि अब तक खरीदी क्यों नहीं हो पाई और आने वाले समय में इसे कब तक पूरा किया जाएगा।
मामले की अगली सुनवाई में शासन को विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी होगी। कोर्ट ने साफ किया कि इस तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और यदि समय पर मशीन उपलब्ध नहीं कराई गई तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है।

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