छत्तीसगढ़

High Court: HC ने कर दी नीलामी निरस्त, कहा नीलामी की प्रक्रिया का पालन नहीं व पादर्शिता का अभाव, जानिए पूरा मामला

त्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक कृषक ने अपनी 9.4 हेक्टेयर कृषि भूमि की नीलामी को चुनौती दी। कृषक ने बैंक से लोन लिया था इसके लिए अपनी भूमि गारंटी के लिए बैंक में जमा कराई थी। लोन नहीं चुकाने पर बैंक ने जमीन को नीलाम कर दिया। इस पर कृषक की लगाई आपत्ति पर भी विचार नहीं किया गया।

HIGH COURT BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक कृषक ने अपनी 9.4 हेक्टेयर कृषि भूमि की नीलामी को चुनौती दी। कृषक ने बैंक से लोन लिया था इसके लिए अपनी भूमि गारंटी के लिए बैंक में जमा कराई थी। लोन नहीं चुकाने पर बैंक ने जमीन को नीलाम कर दिया। इस पर कृषक की लगाई आपत्ति पर भी विचार नहीं किया गया। मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल ने फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ और नीलामी में पारदर्शिता भी नहीं थी। कोर्ट ने नीलामी को निरस्त करने का आदेश दिया है।

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बता दें, बिलासपुर के जूनी लाइन में रहने वाले अनूप शुक्ला ने वर्ष 2000 में जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक सिमगा से 3.25 लाख रुपये लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदा था। आर्थिक तंगी के कारण लोन की किस्त नहीं चुका सके। इस पर बैंक ने 27 जून 2005 को उनकी सिमगा तहसील के हथबंध रेलवे स्टेशन के पास स्थित 23 एकड़ जमीन की नीलामी कर दी।

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यह नीलामी 8.31 लाख रुपये में हुई। नीलामी में केवल दो बोलीदाता ही मौजूद थे। बैंक ने 25 जुलाई 2005 को नोटिस भेजकर नीलामी की जानकारी दी। 16 अगस्त 2005 को फिर से नोटिस भेजा गया कि यदि 16 सितंबर 2005 तक बकाया राशि जमा नहीं की गई तो नीलामी की पुष्टि कर दी जाएगी। अनूप ने 17 अगस्त 2005 को सहकारी समिति रायपुर में आपत्ति दर्ज कराई लेकिन इस पर कोई विचार नहीं हुआ।

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इस तरह से बैंक ने उसकी भूमि के नीलामी की पुष्टि कर दी। इस पर अनूप फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। हाईकोर्ट में नीलामी की प्रक्रिया से लेकर उसकी पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कोर्ट को पूरी जानकारी दी। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला अनूप के पक्ष में दिया। कोर्ट ने नीलामी को निरस्त करने का आदेश दिया है।

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