High Court: ज्योतिष के चक्कर में युवक कराना चाहता था सरनेम चेंज, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका, जानिए पूरा मामला
भिलाई निवासी अमित सिंह सिदार ने सेक्टर-6 स्थित एमजीएम सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 24 मई 2005 को 10वीं और 23 मई 2007 को 12वीं की परीक्षा पास की थी। अंक सूची में नाम अमित सिंह सिदार और पिना का नाम बसंत सिंह सिदार दर्ज है। 10 साल बाद 2016 में अमित और उसके पिता ने सरनेम बदलने के लिए ओडिशा के झारसुगुड़ा कोर्ट में हलफनामा दिया।

HIGH COURT NEWS BLASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई। याचिका में युवक ने 10 वीं व 12वीं की बोर्ड परीक्षा पास करने के 10 साल बाद सरनेम बदलने की मांग करते हुए याचिका दायर की। युवक अपने नाम में सरनेम पर सिदार से नायक कराना चाहता था। याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को पता चला कि वह केवल ज्योतिषी के कहने पर सरनेम बदलना चाहता है। इस पर हाईकोर्ट ने ज्योतिषी की सलाह को कानूनी आधार मानने से इनकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया।
बता दें, भिलाई निवासी अमित सिंह सिदार ने सेक्टर-6 स्थित एमजीएम सीनियर सेकेंडरी स्कूल से 24 मई 2005 को 10वीं और 23 मई 2007 को 12वीं की परीक्षा पास की थी। अंक सूची में नाम अमित सिंह सिदार और पिना का नाम बसंत सिंह सिदार दर्ज है। 10 साल बाद 2016 में अमित और उसके पिता ने सरनेम बदलने के लिए ओडिशा के झारसुगुड़ा कोर्ट में हलफनामा दिया।
इसके बाद ओडिशा कटक के राजपत्र में 18 मार्च 2016 और 26 अप्रैल 2016 को नए नाम प्रकाशित कराए। इसके बाद 4 नवंबर 2017 को अमित ने स्कूल के प्राचार्य को आवेदन देनेकर 10वीं और 12वीं की मार्कशीट में सरनेम बदलने की मांग की। प्राचार्य ने उसके आवेदन को सीबीएसई बोर्ड को भेज दिया। 9 जनवरी 2018 को उसका आवेदन लंबित था। इस दौरान सीबीएसई बोर्ड ने उसके आवेदन पर सरनेम बदलने से इनकार कर दिया। जिस पर अमित ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की।
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हाईकोर्ट ने याचिका का निराकरण करते हुए याचिकाकर्ता को सीबीएसई बोर्ड में अभ्यावेदन देने की छूट दी। जिसके बाद अमित ने सीबीएसई बके सामने अभ्यावेदन पेश किया। जिसे 17 अक्टूबर 2018 को खारिज कर दिया गया। इसके खिलाफ उसने फिर याचिका लगाई। सुनवाई के दौरान कहा गया कि एक ज्योतिषी के कहने पर उसने अपना सरनेम बदलने का फैसला लिया है। इस पर कोर्ट ने याचिका के कारण को वैध नहीं माना और कहा कि सिर्फ ज्योतिषी की सलाह को आधार बनाया गया। यह कानूनी आधार नहीं है। याचिका को खारिज कर दिया गया।