Bilaspur News: हाईकोर्ट–सुप्रीम कोर्ट में जीत के बाद भी GGU के 72 कर्मचारी नियमित नहीं: 15 साल की लड़ाई में 8 की मौत, 18 रिटायर
गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (जीजीयू) के 72 कर्मचारी पिछले 15 वर्षों से नियमितीकरण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगातार जीत के बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अब तक इन्हें नियमित नहीं किया है। एलडीसी और एमटीएस के ये कर्मचारी 1997 से पहले से ही दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम कर रहे थे।

BILASPUR NEWS. गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (जीजीयू) के 72 कर्मचारी पिछले 15 वर्षों से नियमितीकरण के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लगातार जीत के बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन ने अब तक इन्हें नियमित नहीं किया है। एलडीसी और एमटीएस के ये कर्मचारी 1997 से पहले से ही दैनिक वेतनभोगी के रूप में काम कर रहे थे।
सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश पर जब जीजीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला, तो 5 मार्च 2008 और 26 अगस्त 2008 के आदेश के तहत सभी कर्मचारियों को नियमित कर मार्च 2009 तक वेतनमान भी दिया गया। लेकिन अप्रैल 2009 से बिना किसी आदेश के इन्हें पुनः दैनिक वेतनभोगी मानकर भुगतान शुरू कर दिया गया। इसके खिलाफ कर्मचारियों ने न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और हर स्तर पर फैसला कर्मचारियों के पक्ष में आया।
हाईकोर्ट का आदेश: 2008 से नियमितीकरण का लाभ दें
हाईकोर्ट ने 6 मार्च 2023 को WPS/2953/2010 में फैसला सुनाते हुए कर्मचारियों को 26/08/2008 से नियमितीकरण का लाभ देने का आदेश दिया था। विश्वविद्यालय ने इस पर डिवीजन बेंच (WA/255/2023) और फिर सुप्रीम कोर्ट (SLP 46041/2023) में चुनौती दी, लेकिन दोनों ही याचिकाएँ खारिज हो गईं।
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सुप्रीम कोर्ट: फरवरी 2025 में भी राहत
जीजीयू प्रबंधन ने इसके बाद दो रिव्यू याचिकाएँ (34499/2024 एवं 31573/2024) दायर कीं। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें 12 फरवरी 2025 को खारिज कर दिया। इसके बावजूद कर्मचारियों को न नियमितीकरण मिल सका, न ही आर्थिक लाभ।
15 साल में 8 कर्मचारियों की मौत, 18 बिना लाभ रिटायर
न्याय की लंबी लड़ाई में अब तक 8 कर्मचारियों की मृत्यु हो चुकी है। जबकि 31 मई 2025 को रिटायरमेंट आयु पूरी होने पर 18 कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया गया, उन्हें न पेंशन मिली, न प्रोविडेंट फंड। कर्मचारियों का कहना है कि न वेतन बढ़ा, न पदोन्नति, और अब बिना किसी वित्तीय सुरक्षा के उन्हें सेवा से बाहर कर दिया गया।
हाईकोर्ट में अवमानना याचिकाएँ भी लंबित
शीर्ष अदालत के आदेशों के पालन न करने पर कर्मचारियों ने कई अवमानना याचिकाएँ —
CONT/1068/2023, 1217/2025, 1273/2024, 1308/2025, 1377/2025, 849/2024 — दायर कर रखी हैं।
कर्मचारियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन स्पष्ट न्यायालयीय आदेशों की अवहेलना कर रहा है।






