Bilaspur News: धर्मांतरण रोकने वाले होर्डिंग्स पर हाईकोर्ट की मुहर
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कांकेर जिले के कई गांवों में लगाए गए ‘पादरियों और धर्मांतरित ईसाइयों का प्रवेश वर्जित’ बोर्ड हटाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे होर्डिंग्स प्रलोभन या गुमराह कर जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए हैं, इसलिए इन्हें असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता।

BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कांकेर जिले के कई गांवों में लगाए गए ‘पादरियों और धर्मांतरित ईसाइयों का प्रवेश वर्जित’ बोर्ड हटाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे होर्डिंग्स प्रलोभन या गुमराह कर जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए हैं, इसलिए इन्हें असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता।
मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने याचिकाओं को खारिज करते हुए माना कि ग्राम सभाओं ने जनजातीय परंपराओं और संस्कृति की रक्षा के उद्देश्य से एहतियाती कदम उठाए हैं।
गांवों में लगे बोर्ड और विवाद
कांकेर जिले के कुंडला, परवी, बांसला, घोटा, घोटिया, मुसरुपुट्टा और सुलंगी जैसे गांवों में ग्राम सभाओं ने पेसा एक्ट का हवाला देकर बोर्ड लगाए।
इनमें लिखा है कि—गांव पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आता है, और ग्राम सभा संस्कृति की रक्षा के लिए पादरियों व धर्मांतरीतों को धार्मिक कार्य या धर्मांतरण के लिए प्रवेश की अनुमति नहीं देती।
इन बोर्डों पर आपत्ति जताते हुए दिवल टांडी (कांकेर) और नरेंद्र भवानी (जगदलपुर) ने हाईकोर्ट में जनहित याचिकाएं दायर की थीं। उनका कहना था कि ऐसे बोर्ड धार्मिक स्वतंत्रता (अनुच्छेद 25) का उल्लंघन करते हैं।
शासन का पक्ष
राज्य सरकार ने अपने जवाब में कहा कि याचिकाएं सिर्फ आशंका पर आधारित हैं।
शासन ने स्पष्ट किया कि उसके किसी भी सर्कुलर में नफरत फैलाने या होर्डिंग्स लगाने का कोई निर्देश नहीं है।
सर्कुलर केवल अनुसूचित जनजातियों की पारंपरिक संस्कृति की रक्षा के लिए है।
सरकार ने यह भी बताया कि बस्तर संभाग में अतीत में आदिवासियों और धर्मांतरीत ईसाइयों के बीच हुए विवादों और एफआईआरों के चलते यह कदम उठाया गया था।
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने कहा—
- “ग्राम सभाएं अपने क्षेत्र में सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए कदम उठा सकती हैं।”
- “जबरन या लालच से धर्मांतरण रोकने के लिए लगाए गए बोर्ड असंवैधानिक नहीं हैं।”
- “याचिकाकर्ताओं को पहले पेसा नियम 2022 के तहत ग्राम सभा या जिला प्रशासन से संपर्क करना चाहिए था।”





