Korba News: सिक्के ने छीनी मासूम की सांसें”: इलाज के इंतज़ार में टूट गया 8 साल के शिवम का दिल, अस्पताल बोले—हम कुछ नहीं कर सकते
छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक ऐसी घटना हुई जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की असल तस्वीर सामने ला दी। 8 साल के शिवम सारथी की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि उसे समय पर इलाज नहीं मिल सका। बच्चे के सीने में निगला हुआ सिक्का फंस गया था—पर जब परिवार अस्पताल पहुंचा तो जवाब मिला, "यहां इलाज नहीं हो सकता।"

KORBA NEWS. छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक ऐसी घटना हुई जिसने स्वास्थ्य व्यवस्था की असल तस्वीर सामने ला दी।
8 साल के शिवम सारथी की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि उसे समय पर इलाज नहीं मिल सका। बच्चे के सीने में निगला हुआ सिक्का फंस गया था—पर जब परिवार अस्पताल पहुंचा तो जवाब मिला, “यहां इलाज नहीं हो सकता।”
मदन सारथी अपने बेटे शिवम का कंधे की चोट का इलाज कराने धरमजयगढ़ से कोरबा आए थे। इलाज के बाद वे अपने रिश्तेदारों के घर गोड्डी गांव में ठहरे हुए थे।
शुक्रवार रात अचानक शिवम की तबीयत बिगड़ गई—हाथ-पैर ठंडे पड़ गए और सांसें रुकने लगीं। परिजन घबराकर जिला अस्पताल पहुंचे।
एक्स-रे में दिखा सिक्का, पर सुविधा नहीं थी
अस्पताल में एक्स-रे कराया गया तो डॉक्टरों ने बताया कि सीने में सिक्का फंसा है। बच्चे की हालत गंभीर थी, लेकिन डॉक्टरों ने साफ कह दिया—यहां इसका इलाज संभव नहीं, किसी बड़े अस्पताल ले जाइए।
परिजन जैसे-तैसे निजी अस्पताल ले जाने की कोशिश में निकले, लेकिन रास्ते में ही मासूम की सांसें थम गईं।
परिजनों ने लगाया लापरवाही का आरोप
परिवार ने कहा कि अगर डॉक्टरों ने तुरंत ऑक्सीजन या इमरजेंसी ट्रीटमेंट दिया होता, तो शायद शिवम की जान बच सकती थी।
पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
व्यवस्था पर बड़ा सवाल
जिला अस्पताल में आपातकालीन सुविधाओं की कमी ने फिर से सवाल खड़े किए हैं—
जब एक्स-रे में सिक्का दिख गया, तो तत्काल ट्रीटमेंट क्यों नहीं मिला?
क्या हर गंभीर केस के लिए “रेफर” ही एकमात्र जवाब है?
बच्चों के लिए कोई इमरजेंसी प्रोटोकॉल क्यों नहीं लागू है?






