छत्तीसगढ़

High Court Bilaspur:पत्नी के कैरेक्टर पर शक, हाईकोर्ट से वर्जिनी टेस्ट की मांग, याचिका खारिज, जानें पूरा मामला

छत्तीसगढ़ कोर्ट में पत्नी के कैरेक्टर पर शक करते हुए पति ने याचिका दायर की। याचिका में पति ने पत्नी की वर्जिनी टेस्ट करने की मांग की। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के बेंच में हुई।

HIGH COURT NEWS BILASPUR. छत्तीसगढ़ कोर्ट में पत्नी के कैरेक्टर पर शक करते हुए पति ने याचिका दायर की। याचिका में पति ने पत्नी की वर्जिनी टेस्ट करने की मांग की। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के बेंच में हुई। कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए टेस्ट की मांग को असंवैधानिक बताते हुए पति की याचिका खारिज की गई है। कोर्ट ने कहा कि अगर पति खुद पर लगे आरोपों को गलत साबित करना चाहता है, तो वह अपना मेडिकल परीक्षण करा सकता है। लेकिन पत्नी पर ऐसा आरोप थोपना असंवैधानिक है। ये महिलाओं के अधिकारों का हनन है।

ये भी पढ़ेंःसौतेले पिता का कारनामा 13 साल की मासूम के साथ खिलवाड़, करता रहा लगातार रेप व शारीरिक शोषण

बता दें, मामला रायगढ़ जिले के रहने वाले एक युवक की है। जिसकी शादी 30 अप्रैल 2023 को हिंदू रीति-रिवाज से हुई थी। विवाह के कुछ दिनों तक पति-पत्नी के बीच संबंध ठीक रहा। लेकिन कुछ महीने बाद ही पति-पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया। इसके बाद से ही दोनों अलग रहने लगे।

इसी बीच जुलाई 2024 को रायगढ़ के फैमिली कोर्ट पहुंचकर पत्नी ने पति से भरण पोषण के लिए 20 हजार प्रतिमाह देने के लिए याचिका लगाई। पत्नी ने यह आरोप भी लगाया कि उसका पति नपुंसक है। जिसके कारण वह शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम नहीं है। उसे और परविार वालों ने धोखे में रखकर शादी की गई। वहीं पति ने आरोप लगाया कि पत्नी का उसके बहनोई से अवैध संबंध है।

ये भी पढ़ेंःCrime News: जंगल में शारीरिक संबंध बनाने के बाद प्रेमी ने की प्रेमिका की हत्या, पत्थर कुचला सिर, जानिए पूरा मामला

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति की दलील को खारिज कर दिया। साथ ही उसे अपनी पत्नी को भरण-पोषण राशि देने का आदेश दिया। इधर फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ पति ने इन्हीं आरोपों को लेकर हाईकोर्ट में अपील की थी। जिस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की है।

ये भी पढ़ेंःCrime News: संपत्ति विवाद में भतीजे की हत्या करने वाले खूनी चाचा को पुलिस ने किया गिरफ्तार

हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट के दो फैसलों का हवाला दिया। जिसमें शैलेन्द्र कुमार राय के केस में सुप्रीम कोर्ट ने टू फिंगर टेस्ट को अवैध और पीड़िता के अधिकारों के खिलाफ बताया था। इसी तरह से सीबीआई बनाम सिस्टर सेफी के केस में दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला आरोपी की वर्जिनिटी टेस्ट कराने को असंवैधानिक करार दिया। था। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में फैमिली कोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए पति की याचिका को खारिज कर दिया है और कहा कि पत्नी के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना सर्वोपरि है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *