High Court: बस्तर यूनिवर्सिटी के कुलपति व रजिस्ट्रार को राहत, HC ने जांच के आदेश किया निरस्त, जानें पूरा मामला
बस्तर विश्वविद्यालय में 65 कंप्यूटरों की सप्लाई की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके लिए रायपुर के एक निजी कंपनी को टेंडर मिला। कंपनी ने समय पर सभी कंप्यूटर की सप्लाई भी कर दी। लेकिन विश्वविद्यालय ने इसका भुगतान नहीं किया। इस पर कंपनी के संचालक संतोष सिंह ने राज्य शासन के साथ ही लोक आयोग में शिकायत कर दी।

HIGH COURT BILASPUR. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बस्तर यूनिवर्सिटी के कुलपति व रजिस्ट्रार को राहत मिली है। यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर खरीदी के मामले में कमिशनखोरी को लेकर लोक आयोग ने जांच के आदेश दिए थे। इस पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कुलपति व रजिस्ट्रार ने याचिका दायर की थी। याचिका की सुनवाई जस्टिस राकेश मोहन पांडेय ने की। उन्होंने सभी पक्षों को सुना दस्तावेजों का परीक्षण भी किया। इसके बाद पाया कि मौखिक बयान के आधार पर कार्रवाई की गई। हाईकोर्ट ने लोक आयोग के आदेश को निरस्त कर दिया है।
बता दें, बस्तर विश्वविद्यालय में 65 कंप्यूटरों की सप्लाई की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके लिए रायपुर के एक निजी कंपनी को टेंडर मिला। कंपनी ने समय पर सभी कंप्यूटर की सप्लाई भी कर दी। लेकिन विश्वविद्यालय ने इसका भुगतान नहीं किया। इस पर कंपनी के संचालक संतोष सिंह ने राज्य शासन के साथ ही लोक आयोग में शिकायत कर दी।
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इसमें कुलसचिव एसपी तिवारी, कुलपति दिलीप वासनीकर और एक अन्य अधिकारी पर कमिशन मांगने का आरोप लगाया। इस मामले में लोक आयोगन 17 मई 2018 को राज्य सरकार से तत्कालीन कुलपति दिलीप वासनिकर व कुलसचिव एसपी तिवारी व अन्य अधिकारी हीरालाल नाइक के खिलाफ जांच की अनुशंसा कर दी थी।
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इसके खिलाफ कुलपति, रजिस्ट्रार व अन्य अधिकारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। इसमें बताया गया कि कंप्यूटर की बकाया राशि का भुगतान हो चुका है। वहीं बस्तर विश्वविद्यालय की तरफ से बताया गया कि आपूर्ति का निर्णय कार्यपरिषद की मंजूरी के बाद लिया गया था। वहीं लोक आयोग ने कहा कि याचिकाकर्ता और अन्य अधिकारियों पर गंभी आरोप थे। जांच के दौरान उन्हें पूर्ण मौका दिया गया। इसके बाद दोषी पाए जाने पर राज्य सरकार से जांच की सिफारिश की गई है।