भारतीय सांसदों का वैश्विक मिशन: शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद और संजय झा के नेतृत्व में PAK की आतंकी साजिश होगी बेनकाब
शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद, और संजय झा जैसे दिग्गज नेता इस मिशन का नेतृत्व करेंगे। यह प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों सहित कई प्रमुख देशों का दौरा करेगा। आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक दौरे की पूरी जानकारी।

Breaking news: भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए आतंकवाद के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को दुनिया के सामने रखा है। अब भारतीय सांसदों का एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल वैश्विक मंच पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए तैयार है। शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद, और संजय झा जैसे दिग्गज नेता इस मिशन का नेतृत्व करेंगे। यह प्रतिनिधिमंडल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों सहित कई प्रमुख देशों का दौरा करेगा। आइए जानते हैं इस ऐतिहासिक दौरे की पूरी जानकारी।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की कड़ी कार्रवाई
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। इस ऑपरेशन में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, और हिजबुल मुजाहिदीन के 9 आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए। इन हमलों में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए।
पाकिस्तान ने मिसाइलों और ड्रोन्स के जरिए भारत के नागरिक और सैन्य ढांचे को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत के उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम ने हर हमले को नाकाम कर दिया। जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान के चकलाला, रावलपिंडी, लाहौर, जैकबाबाद, और सरगोधा जैसे प्रमुख एयरबेसों पर हमले किए। 10 मई को दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम हुआ, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी लड़ाई जारी रहेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, “ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ नया सामान्य (न्यू नॉर्मल) है। भारत अब हर आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई मानेगा और उसका जवाब उसी तरह देगा।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तो भारत किसी भी वक्त ऑपरेशन सिंदूर को फिर से शुरू कर सकता है।
भारतीय सांसदों का वैश्विक दौरा: आतंकवाद के खिलाफ एकजुट संदेश
भारत सरकार ने पहली बार सभी दलों के सांसदों को मिलाकर एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल बनाया है, जो आतंकवाद के खिलाफ भारत के कड़े रुख को दुनिया के सामने रखेगा। संसदीय कार्य मंत्रालय की प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह प्रतिनिधिमंडल 23 मई 2025 से शुरू होने वाले 10-दिवसीय दौरे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों और अन्य प्रमुख साझेदार देशों का दौरा करेगा।
इस मिशन का उद्देश्य है:
•आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ भारत की राष्ट्रीय सहमति को प्रदर्शित करना।
•पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को वैश्विक मंच पर बेनकाब करना।
•भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को मजबूती से पेश करना।
कौन-कौन हैं प्रतिनिधिमंडल में शामिल?
सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व निम्नलिखित नेता करेंगे:
•शशि थरूर (कांग्रेस): अमेरिका में भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।
•रविशंकर प्रसाद (बीजेपी): सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, और अल्जीरिया का दौरा करेंगे।
•संजय कुमार झा (जेडीयू): जापान, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, और इंडोनेशिया (विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश) की यात्रा करेंगे।
•बैजयंत पांडा (बीजेपी): अन्य देशों का दौरा करेंगे।
•कनिमोझी करुणानिधि (डीएमके): विभिन्न देशों में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी।
•सुप्रिया सुले (एनसीपीएसपी): ओमान, केन्या, दक्षिण अफ्रीका, और मिस्र का दौरा करेंगी।
•श्रीकांत एकनाथ शिंदे (शिवसेना): अन्य देशों में भारत का संदेश पहुंचाएंगे।
इनके अलावा, संजय झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद (कांग्रेस) को भी शामिल किया गया है, हालांकि वे सांसद नहीं हैं। अन्य प्रमुख सांसदों में अनुराग ठाकुर, अपराजिता सारंगी, मनीष तिवारी, असदुद्दीन ओवैसी, प्रियंका चतुर्वेदी, और विक्रमजीत साहनी शामिल हैं।
नोट: तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को भी इस दौरे में शामिल होने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य कारणों से मना कर दिया।
शशि थरूर के नाम पर सियासत
शशि थरूर को अमेरिका दौरे का नेतृत्व सौंपे जाने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। पार्टी का कहना है कि यह जिम्मेदारी किसी वरिष्ठ सत्तारूढ़ दल के नेता को दी जानी चाहिए थी। वहीं, सरकार का तर्क है कि थरूर की वैश्विक छवि और कूटनीतिक अनुभव इस मिशन के लिए उपयुक्त हैं। इस मुद्दे पर सियासी बहस छिड़ गई है, लेकिन मिशन की अहमियत को देखते हुए सभी दल एकजुटता दिखा रहे हैं।
भारत का मिशन: पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर अलग-थलग करना
यह पहली बार है जब भारत सरकार ने सभी दलों के सांसदों को मिलाकर इतने बड़े पैमाने पर वैश्विक कूटनीतिक अभियान शुरू किया है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस दौरे की तैयारियों का नेतृत्व कर रहे हैं। प्रत्येक प्रतिनिधिमंडल लगभग 5 देशों का दौरा करेगा और वहां के नेताओं, नीति-निर्माताओं, और संगठनों से मुलाकात करेगा।
इस दौरे का मकसद न केवल पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनकाब करना है, बल्कि वैश्विक समुदाय को यह दिखाना भी है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह कदम भारत की कूटनीतिक ताकत को और मजबूत करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर और भारतीय सांसदों का यह वैश्विक दौरा आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। शशि थरूर, रविशंकर प्रसाद, और संजय झा जैसे नेताओं के नेतृत्व में यह प्रतिनिधिमंडल दुनिया को भारत का संदेश देगा कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति में कोई समझौता नहीं होगा। क्या यह मिशन पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर पूरी तरह अलग-थलग कर पाएगा? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।