Liquor scam Case CG: शराब घोटाला मामले में ACB व EOW ने प्रदेश में 15 अलग-अलग जगहों पर दी दबिश
प्रदेश में शराब घोटाला मामले में एक बार फिर से एसीबी व ईओडब्ल्यू ने दबिश दी है। इससे पूर्व भी कई जगहों में छापा मार चुके है। इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा सहित कई लोग जेल में बंद है।

LIQUOR SCAM CASE RAIPUR. प्रदेश में शराब घोटाला मामले में एक बार फिर से एसीबी व ईओडब्ल्यू ने दबिश दी है। इससे पूर्व भी कई जगहों में छापा मार चुके है। इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा सहित कई लोग जेल में बंद है। शनिवार की एसीबी-ईओडब्ल्यू की टीम ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापा मारा है। राजधानी रायपुर, दंतेवाड़ा, अंबिकापुर, सुकमा, तोंगपाल और जगदलपुर समेत लगभग 15 ठिकानों पर ईओडलब्यू की टीम ने दबिश दी है। सुकमा जिला मुख्यालय में चार ठिकानों पर रेड कार्रवाई की गई है।
ईडी ने 3 हजार 841 पन्ने का चालान पेश किया
दो हजार करोड़ के शराब घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने 13 मार्च को रायपुर के स्पेशल कोर्ट में 3 हजार 841 पन्नों का चालान दाखिल किया है। इसमें जेल में बंद पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा सहित 21 लोगों को आरोपियों के नाम हैं। इन आरोपियों में रायपुर के पर्व मेयर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, छत्तीसगढ़ डिस्टलरी, वेलकम डिस्टलरी, टॉप सिक्योरिटी, ओम साईं ब्रेवेरेज, दिशिता वेंचर, नेस्ट जेन पावर, भाटिया वाइन मर्चेंट और सिद्धार्थ सिंघानिया सहित अन्य 21 लोगों के नाम शामिल हैं।
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ऐसे हुआ था खुलासा
ईडी की चांच में पता चला कि टेंडर दिलाने के एवज में कंपनी के मालिक से कमीशन लिया गया था। इस मामले में जब कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को ईडी ने अरेस्ट किया तो उसने कांग्रेस सरकार में सीएसएमसीएल में एमडी अरुणपति त्रिपाठी, रायपुर महापौर के बड़े भाई शराब कारोबारी अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया। जब ईडी ने इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया, तो मामले में और भी खुलासे हुए। फिर साल 2024 में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम सामने आया। ED की जांच में पता चला है कि लखमा को शराब घोटाले से पीओसी (प्रोसीड ऑफ क्राइम) से हर महीने कमिशन मिलता था।
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क्या है दो हजार करोड़ के शराब घोटाला मामला जानें
ईडी के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2019-2022 तक लाइसेंसी शराब दुकानों में डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची गई थी। इस वजह से छत्तीसगढ़ के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ था। शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम भी लगाया जाता था, जिससे वह किसी की पकड़ में न आ सके। घोटाले में संलिप्त लोगों ने इस होलोग्राम को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा में होलोग्राफी का काम करने वाली प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को टेंडर दिया था। यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए पात्र नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन करके यह टेंडर कंपनी को दे दिया गया था।