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Vatsala elephant died: पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे बुजुर्ग हथिनी वत्सला का निधन – जंगल की मां के जाने से खत्म हुआ एक युग

Farewell of Vatsala: मंगलवार को दोपहर करीब सवा एक बजे पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया.

Farewell of Vatsala: मंगलवार को दोपहर करीब सवा एक बजे पन्ना टाइगर रिजर्व की सबसे उम्रदराज हथिनी वत्सला ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वत्सला का जाना सिर्फ एक जानवर के जीवन का अंत नहीं है, बल्कि एक पूरी परंपरा का विराम है।

जंगल की ममता – Motherly Figure of Forest

वत्सला को कोई साधारण हथिनी नहीं माना जाता था। वह जंगल में रहने वाले हर छोटे-बड़े प्राणी के लिए ममता की मूर्ति थी। वह हाथियों के झुंड की सबसे आगे चलने वाली थी और बच्चों के लिए वह दादी समान थी।

केरल से पन्ना तक का सफर – Journey from Kerala to Panna

उसका जन्म केरल राज्य के नीलांबुर के घने जंगलों में हुआ था। वहां उसने जंगल के कामों में बचपन गुजारा। वर्ष 1971 में उसे मध्य प्रदेश लाया गया। पहले बोरी अभयारण्य में रही और बाद में पन्ना टाइगर रिजर्व में उसे नया ठिकाना मिला।

सेवा से निवृत्ति के बाद जीवन – Life after Retirement

साल 2003 में वत्सला को सेवामुक्त कर दिया गया। इसके बाद उसे हिनौता हाथी शिविर में रखा गया, जहां उसका बहुत ही स्नेह से पालन-पोषण होता रहा। वहां उसने अपनी उम्र के अंतिम वर्षों में भी जंगल के छोटे हाथियों को ममत्व दिया।

नन्हे हाथियों की सच्ची मां – True Mother of Calves

जब भी कोई नया हाथी शावक शिविर में आता, वत्सला उसे अपनी सूंड से सहलाकर अपनापन देती। उसकी मौजूदगी शावकों के लिए किसी लोरी जैसी सुकून देती थी। कई बार उसने नवजात हाथियों के जन्म में दाई बनकर भी सहायता की।

कर्मचारियों की देखभाल – Staff Care and Dedication

वन विभाग के कर्मचारी दिन-रात वत्सला की सेवा में लगे रहते थे। उन्होंने उसके खाने-पीने से लेकर स्वास्थ्य तक हर जरूरत का ध्यान रखा। इसके बावजूद मंगलवार को वत्सला ने हमेशा के लिए आंखें मूंद लीं।

सम्मान से विदाई – Respectful Farewell

वत्सला का अंतिम संस्कार पूरे आदर और सम्मान के साथ किया गया। उस वक्त वहां मौजूद हर शख्स की आंखें भर आईं। उसकी यादें वहां के हर पेड़-पौधे में समाई रहेंगी।

यादें रहेंगी अमर – Memories will stay alive

वत्सला भले ही अब इस जंगल में नहीं है, पर उसकी कहानियां, उसकी ममता और उसकी छांव हर जगह मौजूद रहेगी। जब भी कोई नन्हा हाथी खेलता नजर आएगा या पर्यटक हाथियों की कतार देखेगा – उसमें कहीं न कहीं वत्सला की छवि जरूर दिखेगी।

 

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