छत्तीसगढ़

High Court :वन्य जीवों पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला कहा वन्यजीव संरक्षण में लापरवाही बर्दाश्त नहीं, जानिए पूरा मामला

HIGH COURT NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर बड़ी बात कहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि वन्यजीवों के संरक्षण में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा के बेंच में हुई। कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार ने जवाब पेश करते हुए बताया कि प्रदेश में बाघों की सुरक्षा को लेकर उपाय किए जा रहे हैं। उत्तरप्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व की तर्ज पर ग्रामीणों को बाघ मित्र बनाने का निर्णय लिया है।

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बता दें, 8 नवंबर 2024 को कोरिया जिले के गुरुघासीदास नेशनल पार्क स्थित नदी किनारे एक बाघ का शव मिला था। यह शव सोनहत-भरतपुर सीमा के देवशील कटवार गांव के पास मिला था। प्रारंभिक जांच में बाघ के दांत, नाखून और आंख जैसे अंग गायब पाए गए। जिससे संदेह जताया गया कि बाघ को जहर देकर मारा गया होगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया क जहर की पुष्टि नहीं हुई और बीमारी से मौत की संभावना जताई गई थी। बिसरा रिपोर्ट आने के बाद भी स्थिति और स्पष्ट होगी।

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शासन से मांगा था जवाब
हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय उद्यान में बाघ के मौत पर 11 नवंबर को सुनवाई करते हुए नाराजगी जाहिर की थी। वहं वन विभाग के उच्चाधिकारियों से जवाब-तलब किया था। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने कहा था कि वन्यजीव नष्ट हो रहे हैं, पर्यावरण भी नष्ट हो रहे हैं अब बचा क्या। वन्य जीव नहीं बच पाएंगे, जंगल नहीं बचेंगे तो कैसे चलेगा। कोर्ट ने इस मामले में वन एवं पर्यावरण संरक्षण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को 10 दिन के अंदर व्यक्तिगत शपथपत्र पर जवाब देने को कहा था कि वन्यजीवों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

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बाघों के लिए बनाएंगे बाघ मित्र
राज्य शासन ने कोर्ट को जवाब देते हुए बताया कि बाघों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के वन विभाग के अधिकारियों की संयुक्त बैठक 12 दिसंबर 2024 को हुई थी। इसके अलावा पशु चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने तीन दिवसीय कार्यशाला 9 से 11 जनवरी तक आयोजित हुई है। उत्तरप्रदेश मॉडल अपनाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही बताया गया कि वन विभाग के अधिकारियों की टीम ने उत्तरप्रदेश के विभिन्न बाघ अभ्यारणों और सीमावर्ती गांवों का दौर किया गया है।

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