Chaitra Navartri:चैत्र नवरात्रि आज से शुरू, गज में सवार होकर आएगी आदिशक्ति मां
देवी मां की भक्ति का पर्व नवरात्रि होता है। चैत्र नवरात्रि हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। मान्यता है कि हिन्दू नववर्ष के पहले दिन ही देवी मां की भक्ति के साथ नववर्ष शुरू हो जाता है। ऐसे में आदिशक्ति मां की पूजा करने वाले भक्तों में खासा उत्साह देखने के मिलता है।

CH ITRA NAVARATRI NEWS. देवी मां की भक्ति का पर्व नवरात्रि होता है। चैत्र नवरात्रि हिन्दू नववर्ष की शुरुआत होती है। मान्यता है कि हिन्दू नववर्ष के पहले दिन ही देवी मां की भक्ति के साथ नववर्ष शुरू हो जाता है। ऐसे में आदिशक्ति मां की पूजा करने वाले भक्तों में खासा उत्साह देखने के मिलता है। नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि देवी भक्ति के लिए इस दौरान जो भी श्रद्धालु पूजा-अर्चना करता है तो उसको मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। इस बार मां दुर्गा गज पर सवार होकर आएगी। इस दिन अमृत योग बन रहा है।
बता दें, चैत्र नवरात्रि का पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नव रूपों की पूजा-अर्चना होती है। प्रथम दिन मां शैल पुत्री की पूजा की जाएगी। वहीं इस बार नवरात्रि का पर्व 9 दिन के बजाए 8 दिन की होगी। प्रतिदिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाएगी।
मां महामाया मंदिर में लगेगी भक्तों की भीड़
प्रदेश में आदिशक्ति मां महामाया मंदिर रतनपुर की विशेष मान्यता है। माना जाता है कि यहां पर मां सती का कंधा गिरा था। तब से ही यहां पर शक्तिपीठ के तौर पर पूजा की जाती है। मंदिर को कल्चुरी राजाओं ने बनवाया था। तब से अब तक देवी मां के प्रति भक्तों की आस्था लगातार बढ़ रही है और हर साल भक्त भी अधिक संख्या में पूजा-अर्चना करने पहुंचते है।
मनोकामना ज्योति की जाएगी प्रज्ज्वलित
मंदिर में देवी मां से मनोकामना पूर्ति के लिए मनोकामना ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है। प्रदेश भर में सबसे अधिक ज्योति कलश इस मंदिर में प्रज्ज्वलित की जाती है। शारदीय नवरात्रि में 35 हजार से अधिक ज्योत प्रज्ज्वलित की जाती है। वहीं चैत्र नवरात्रि में भी इसकी संख्या 23हजार है।
नवमीं को होगा राजसी श्रृंगार
मां महामाया के दरबार में हर दिन माता के भक्त दर्शन व पूजन के लिए पहुंचते है। ऐसे में माता का श्रृंगार प्रथम दिन विशेष होता है। इसके बाद पूरे नवरात्रि भर मंदिर बंद नहीं होता है। इसलिए नवमी के दिन राजसी श्रृंगार किया जाता है।
पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री