Bilaspur News:शंकराचार्य संस्थान के पीठाधीश्वर व वृन्दावन धाम के स्वामी यदुनंदन सरस्वती का बड़ा बयान
सोमवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए शंकराचार्य संस्थान के पीठाधीश्वर व वृन्दावन धाम के स्वामी यदुनंदन सरस्वती ने पहलगाम घटना व आतंकवाद पर कहकि इस समय जो आतंकवाद है, उसका सृजन ही मुसलमान के यहां से हुआ है,जितने आतंकवादी हैं सभी इस्लामी हैं,इनको रोकने के लिए सरकार के पास कठोर कानून है।

BILASPUR NEWS. सोमवार को बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए शंकराचार्य संस्थान के पीठाधीश्वर व वृन्दावन धाम के स्वामी यदुनंदन सरस्वती ने पहलगाम घटना व आतंकवाद पर कहकि इस समय जो आतंकवाद है, उसका सृजन ही मुसलमान के यहां से हुआ है,जितने आतंकवादी हैं सभी इस्लामी हैं,इनको रोकने के लिए सरकार के पास कठोर कानून है। सरकार को गरम होना चाहिए, तुरंत निर्णय लेना चाहिए कठोरता से जवाब देना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मोदी जी अवसरवाद की तलाश में हैं बिहार का चुनाव आए तो थोड़ा बहुत धूम धड़ाम करें, जिससे उनको हिंदुओं का वोट मिलता रहे। जबकि उनको उसकी प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए, देन एंड देयर जवाब देना चाहिए।
हिंदू और सनातन को खतरे में बताने पर कहा…
जब तक सृष्टि है तब तक संसार में हिंदू और सनातन रहेगा, हिंदू और सनातन को कहीं कोई खतरा नहीं है।
कुछ दुराग्रही,जो छोटे-मोटे कीड़े मकोड़े हैं, उनसे हमारे धर्म को कहीं कोई खतरा नहीं है। हिंदु राष्ट्र की उठती मांग पर उन्होंने कहाकि कैलाश शिखर से लेकर कश्मीर से कन्याकुमारी और कटक के बीच पहले ही यह हिंदू राष्ट्र है फिर कोई बनाये या ना बनाएं फर्क नहीं पड़ता। सनातन धर्म के रक्षक घोषणा करते हैं कि, हम धर्म की रक्षा करेंगे। हम लोगों को यह अधिकार नहीं है कि हम कहें कि सनातन धर्म की हम रक्षा करेंगे यह अहंकार है, हमें जितना काम दिया गया है,धर्म का प्रचार करना, शास्त्र का उपदेश करना वही हमें करना चाहिए।
शंकराचार्यों की कार्यप्रणाली पर कहा..
ज्यादातर शंकराचार्य या तो विवाद में है या फिर उस योग्यता को पूरी नहीं करते हैं,सरकार ऐसे लोगों को प्रश्रय देती है। नकली लोगों पर रोक नहीं लगाती है। बिना पैसे के ऐसे शंकराचार्य कहीं नहीं जाते हैं
सामान्य व्यक्ति उनका दर्शन भी नहीं कर सकता है।
शंकराचार्यों ने दीक्षा देने की फैक्ट्री खोल रखी है
इस समय देश में दीक्षा देने की प्रवृत्ति चल रही है जबकि, शास्त्र के आदेश का पालन करना चाहिए संगठन बनाकर लड़ाई युद्ध करने की बजाय शास्त्रार्थ आंदोलन होना चाहिए।