छत्तीसगढ़
Bilaspur News:केंद्र की लापरवाही से अटका बिलासपुर एयरपोर्ट विस्तार, हाईकोर्ट ने जताई नाराज़गी
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट के रनवे विस्तार और नाइट‑लैंडिंग सुविधाओं के कामों में केंद्र सरकार की लचर प्रतिक्रिया पर कड़ी नाराज़गी जताई है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि केंद्र स्पष्ट नहीं करता कि इसे काम करना है या नहीं, तो याचिकाओं का आजीवन चक्कर नहीं गलतियों वाला चक्र चल सकता है।

BILASPUR NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बिलासा देवी केवट एयरपोर्ट के रनवे विस्तार और नाइट‑लैंडिंग सुविधाओं के कामों में केंद्र सरकार की लचर प्रतिक्रिया पर कड़ी नाराज़गी जताई है। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि केंद्र स्पष्ट नहीं करता कि इसे काम करना है या नहीं, तो याचिकाओं का आजीवन चक्कर नहीं गलतियों वाला चक्र चल सकता है। सुनवाई में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की बेंच ने वर्ष 2017 से लंबित इस पीआईएल में नौवीं बार सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से स्पष्ट पूछा कि क्या उसे बिलासपुर एयरपोर्ट का विकास करना है या नहीं; यदि हाँ, तो क्यों काम अटका हुआ है।
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केंद्र सरकार की ख़ामोशी: भूमि हस्तांतरण के लिए रक्षा मंत्रालय और राज्य शासन की सहमति हो चुकी है—लेकिन जब तक राशि जमा नहीं होती, तब तक जमीन एयरपोर्ट प्रबंधन को नहीं सौंपी जाएगी। केंद्र ने इस लिए जिम्मेदार ठहराया है।

क्यों जरूरी है विस्तार?
वर्तमान में रनवे की लंबाई लगभग 1,535 मीटर है—जो केवल 3C‑केटेगरी (छोटे विमान सेवा तक) के लिए उपयुक्त है। अंतरराष्ट्रीय‑योग्य 4C रनवे (लगभग 2,200–2,885 मीटर) से ए 320, बोइंग जैसे विमानों की लैंडिंग संभव होगी।
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नाइट‑लैंडिंग सुविधा हेतु DGCA द्वारा DVOR व PBN योजना को अपनाने के बाद भी, अभी तक आवश्यक उपकरण और भवन निर्माण कार्य शुरू नहीं हुए हैं।
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कोर्ट ने क्या निर्देश दिए:
-Chief Secretary को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ स्पष्टीकरण पेश करने को कहा गया है।
-राज्य और केंद्र सरकार, DGCA और AAI की एक उच्च स्तरीय समिति से रिपोर्ट तैयार कराए जाने के आदेश के साथ-साथ
-Boundary wall, night‑landing मशीनों की आपूर्ति, और civil‑electrical निर्माण कार्यों की स्थिति पर क्लियर र-roadmap प्रस्तुत किया जाए।