High court news: हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अब बार काउंसिल में नहीं होगा रजिस्ट्रेश तो भी दे सकते हैं सिविल जज का एग्जाम

HIGH COURT NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने लॉ ग्रेजुएट स्टूडेंट से संबंधित एक बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा क सिविल जज एग्जाम के लिए लॉ ग्रेजुएट स्टूडेंट का एडवोकेट होना जरूरी नहीं है। परीक्षा में वो कैंडिडेट्स भी शामिल हो सकते हैं जो लॉ ग्रेजुएट है और सरकारी कर्मचारी है। इसके लिए बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन भी जरूरी नहीं है।
बता दें, मध्यप्रदेश के जबलपुर में रहने वाली विनीता यादव ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में उन्होंने बताया है वो जबलपुर के रानी दुर्गावती कॉलेज से लॉ ग्रेजुएट की डिग्री ली है। उन्होंने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग की ओर से आयोजित सिविल जज परीक्षा 2024 में शामिल होने के लिए फार्म जमा करना चाहती है।
याचिका में यह भी बताया गया कि वह वर्तमान में सरकारी कर्मचारी के तौर पर कार्यरत है। उनका एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत अधिवक्ता के रूप में उनका रजिस्ट्रेशन भी नहीं है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम के तहत नियम 49 में बिना रजिस्ट्रेशन के याचिकाकर्ता फार्म जमा नहीं कर पा रही है। एडवोकेट एक्ट 1961 के तहत बनाए गए इस नियम के तहत पूर्णकालिक सरकारी कर्मचारी होन के कारण उन्हें सिविल जज परीक्षा देने से वंचित होना पड़ रहा है।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा एग्जाम न देने देना अवैधानिक
मामले के सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने चीफ जस्टिस के सामने पक्ष रखते हुए कहा कि किसी भी उम्मीदवार को मापदंड पूरा करने यानी कि शैक्षणिक अर्हता होने पर एग्जाम में शामिल होने से रोकना अवैधानिक है। किसी भी पूर्णकालिक व्यवसाय में लगे कैंडिडेट्स को भर्ती से वंचित नहीं किया जा सकता।
कोर्ट ने तिथि बढ़ाने का दिया आदेश
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को सिविल जज की परीक्षा के आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि को 24 जनवरी से एक महीने के लिए आगे बढ़ाने का आदेश दिया है।