छत्तीसगढ़

High Court News:किसान की जमीन अपने नाम की, हाईकोर्ट ने की आरोपी वकील और उसके सहयोगी गवाह की अपील खारिज

किसान को नशीला पदार्थ खिलाकर बिक्री के फर्जी दस्तावेज तैयार पर 8.85 एकड़ जमीन की अपने नाम रजिस्ट्री कराने के आरोपी वकील और उसके सहयोगी गवाह की अपील हाईकोर्ट ने खारिज की है।

HIGH COURT NEWS BILASPUR. किसान को नशीला पदार्थ खिलाकर बिक्री के फर्जी दस्तावेज तैयार पर 8.85 एकड़ जमीन की अपने नाम रजिस्ट्री कराने के आरोपी वकील और उसके सहयोगी गवाह की अपील हाईकोर्ट ने खारिज की है। कोर्ट ने बिलासपुर जिला एवं सत्र न्यायालय के आदेश को यथावत रखते हुए मामले के दो आरोपी पटवारी और दस्तावेज लेखक की संलिप्तता सिद्ध नहीं होने पर दोषमुक्त किया है। आरोपी वकील को फरवरी 2016 में 3 वर्ष की कैद हुई थी।

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बता दें, सीपत थाना क्षेत्र के ग्राम खैरा निवासी किसान मेहरचंद पटेल ने 2013 में सिविल लाइन थाने में लिखित शिकायत की। शिकायत में बताया कि उसके पास ग्राम खैरा में 8.85 एकड़ कृषि भूमि थी। बिलासपुर जिला न्यायालय में एक मामले में उसके वकील ने किसान को जमानत लेने के बहाने बुलाया। इस दौरान नशीला पदार्थ खिलाकर कर अपने नाम पर 8.85 एकड़ जमीन अपने नाम करा ली। भू स्वामी को इसकी जानकारी होने पर मार्च 2013 में सिविल लाइन थाने में लिखित शिकायत की।

जांच में पुलिस ने पाया कि वकील ने शिकायतकर्ता के फर्जी हस्ताक्षर कर उसकी जमीन का अपने नाम 2011 में पंजीयन कराया है। जांच उपरांत पुलिस ने मामले में वकील और गवाह सीताराम कैवर्त, 22 बिन्दु जारी करने वाले तत्कालीन पटवारी और दस्तावेज लेखक के खिलाफ धोखाधड़ी का जुर्म दर्ज कर न्यायालय में चालान प्रस्तुत किया। सत्र न्यायालय बिलासपुर ने फरवरी 2016 में सभी को विभिन्न धारा में 3 वर्ष कैद एवं अर्थदंड की सजा सुनाई। सजा के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अलग अलग अपील प्रस्तुत की।

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जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की सिंगल बेंच में अपील पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि साक्ष्यों की गहन जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि अपीलकर्ता वकील शिकायतकर्ता मेहरचंद के वकील थे और एक प्रभावशाली स्थिति में थे। शिकायतकर्ता अक्सर उसके साथ घूमने आता था। अपीलकर्ता को विभिन्न प्रयोजनों के लिए आवेदन करना होता था। वह घरेलू कामों में उसकी मदद करता था।

आरोपी वकील को शिकायतकर्ता की पारिवारिक स्थिति के बारे में अच्छी तरह जानकारी थी कि उसके दो बेटे उससे अलग रह रहे थे। उसकी स्थिति का फायदा उठाकर वह उसे यह कहकर बिलासपुर ले गया कि उसके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले में उसे जमानतदार बनाया जाएगा और ज़मानत के बजाय, अपीलकर्ता वकील ने पंजीकृत बिक्री विलेख लिखवा लाया। उसकी पूरी 8.85 एकड़ जमीन पर फर्जीवाड़ा कर अपनी जाली रिपोर्ट लगाकर कब्जा कर लिया।

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रिपोर्ट में शिकायतकर्ता के हस्ताक्षरों की जांच की गई और पाया कि बिक्री विलेख में हस्ताक्षर शिकायतकर्ता मेहरचंद के नहीं थे। इसलिए, अपीलकर्ता वकील की संलिप्तता विधिवत साबित हुई कि उसने जाली बिक्री विलेख तैयार किया था। शिकायतकर्ता को धोखा दिया गया है। इसी प्रकार उसके सहयोगी सीताराम कैवर्त गवाह की भी अपराध में संलिप्तता सिद्ध हुई। इस आधार पर कोर्ट ने अपीलकर्ता वकील एवं गवाह सीताराम कैवर्त की अपील को खारिज करते हुए अदालत के निर्णय को यथावत रखा है।

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