छत्तीसगढ़

High Court: HC का बड़ा फैसला, कहा दुष्कर्म पीड़िता को आघात है, अबॉर्शन का मिले अधिकार, जानिए पूरा मामला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के बाद गर्भवती पीड़िता को अबॉर्शन कराने की अनुमति दी है। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच में हुई।

HIGH COURT NEWS. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के बाद गर्भवती पीड़िता को अबॉर्शन कराने की अनुमति दी है। हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच में हुई। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि भारतीय समाज में विवाह के बाद गर्भावस्था आम तौर पर न केवल जोड़े के लिए बल्कि उनके परिवारों और मित्रों के लिए भी खुशी, उत्सव और बड़ी उम्मीद की वजह होती है। लेकिन विवाह के बाहर की गर्भावस्था, खासकर यौन उत्पीड़न के बाद पीड़िता के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डालती है। यह गर्भावस्था स्वैच्छिक नहीं होती, इसलिए इससे पीड़िता को और अधिक मानसिक आघात पहुंचता है ऐसे में अबॉर्शन का अधिकार मिलना चाहिए।

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बता दें, रतनपुर क्षेत्र में रहने वाली 26 वर्षीय मानसिक रूप से विक्षिप्त युवती से दुष्कर्म किया गया था। इस कारण वह गर्भवती हो गई। जानकारी मिलने पर परिजनों ने रतनपुर थाने में मामला दर्ज करवाया। इधर उसकी बहन ने पीड़िता की मानसिक स्थिति का हवाला देते हुए गर्भपात की अनुमति की मांग करते हुए याचिका दायर की।

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राज्य सरकार ने कहा कि गर्भपात की अनुमति देने से पहले पीड़िता की चिकित्सकीय जांच जरूरी है। इस पर हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि पीड़िता को सिम्स में मेडिकल जांच के लिए ले जाया जाए। सिम्स को जांच कर यह रिपोट्र देने कहा गया कि क्या पीड़िता का स्वास्थ्य गर्भपात के लिए उपयुक्त है।

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रिपोर्ट 1 अप्रैल 2025 तक मांगी गई थी। राज्य सरकार के रिपोर्ट देने के बाद 4 अप्रैल को याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने कहा कि अबॉर्शन जल्दी किया जाए। साथ ही उसकी जांच करने वाली टीम को गर्भावस्था समाप्त करने की पूरी प्रक्रिया को पूरी करने का आदेश दिया है। भ्रूण का डीएनए नमूना लिया जाएगा और सबूत के तौर पर सुरक्षित रखने कहा है।

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